उत्तराखंड

साधु तो अनंत का मार्गी है-स्वामी रामदेव

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हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘मानस गुरुकुल’ विषय पर आयोजित राम कथा में कथावाचक मोरारी बापू ने कहा कि कल रामनवमी के साथ ही पूज्य स्वामी रामदेव महाराज का भी 28वाँ जन्मोत्सव है। ऐसे पावन अवसर पर स्वान्तरसुखाय हेतु रहित आयोजित यह रामकथा आठवें दिवस में प्रवेश कर रही है। आठवें दिन की कथा के मुख्य अतिथि प्रदेश के शहरी विकास मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल रहे। मोरोरी बापू ने कहा कि भारतीय मूल तत्व जो वैश्विक है, उसकी शाश्वत जड़ों को सींचने के लिए और उससे फलित विशाल वट वृक्ष को और अधिक घना व छायादार बनाने के लिए स्वामी रामदेव महाराज अखण्ड पुरुषार्थ कर पारमार्थिक यज्ञ में आहूति डाल रहे हैं। नहीं तो फकीर का अर्थ से क्या लेना। जो धर्म से विरुद्घ न हो ऐसा पारमार्थिक अर्थ परमार्थ के लिए प्रयोग किया जाए तो यह भी एक यज्ञ ही है। उन्होंने कहा कि विश्व मंगल के लिए पतंजलि का वैश्विक गुरुकुल बनने जा रहा है। उसकी नींव में यह सब परमार्थ जाएगा। उन्होंने कहा कि साधु की अनेक प्रवृत्तियों में भी निवृत्तिमय विश्राम होता है। माता-पिता तो निमित्त मात्र हैं, जहाँ संगम है, समन्वय है वहाँ साधु का निर्माण होता है। सच्चे साधु का लक्षण बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि जो ग्रहण करने योग्य हो उसे ग्रहण कर ले और जो छोड़ने योग्य हो उसे छोड़ दे, वही साधु है। कथा में उन्होंने रामजन्म, सीता हरण व लंका प्रस्थान हेतु सेतु निर्माण की कथा सुनाई। सेतु निर्माण प्रसंग में पूज्य बापू ने कहा कि पत्थर का स्वभाव तैरना नहीं है, वानर चंचल प्राणी है वह पत्थरों को बांधकर नहीं रख सकता तथा समुद्र का जल तरंगित है स्थिर नहीं है। तो प्रश्न उठता है कि सेतु कैसे बना? गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि केवल परमात्मा की परम पा से ही सेतु का निर्माण हुआ। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि कल वे 28 वर्ष के हो जाएंगे और हमारे गुरुकुल के बच्चे 4-5 वर्ष के हो जाएँगे। हम सबको आशीर्वाद देने के लिए मोरारी बापू यहाँ उपस्थित हैं। सद्भाव से, सद्ज्ञान से, सद्गुणों से, सद्घर्म से, वेद धर्म से, गुरुधर्म से,ाषिधर्म से, आत्मधर्म से, राजधर्म से, रामभक्ति से हम युक्त रहें और अज्ञान से, अश्रद्घा से, अकर्मण्यता से, पापों से मुक्त रहें, यही मोरारी बापू हमें सिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, भारतीय शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था की पुनर्प्रतिष्ठा का यह आन्दोलन जो मोरारी बापू जैसे महापुरुषों के अनुग्रह से हमने आरम्भ किया, उसका एक नया चरण, नया आयाम है रुचि सोया। कहा कि हम अपने आपको साधते हुए कर्म की रीति, नीति, प्रीतिपूर्वक कर्म करते हुए किस तरह से स्वधर्म में रहें यह बड़ी बात है। जब एक विश्वव्यापी अनुष्ठान करना हो तो उसके लिए अर्थ की भी आवश्यकता होती है। और वह अर्थ परमार्थ मूलक हो, वेद मूलक हो, धर्म मूलक हो तो उसका विशेष महत्व है। हमने यह संकल्प लिया कि जितने भी सत्कर्म हैं- वे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्घि के लिए प्रीतिपूर्वक, रीतिपूर्वक और नीतिपूर्वक होने चाहिए। स्वामी रामदेव ने कहा कि कुछ दिन पूर्व हमने रुचि सोया का प्राइस बैण्ड 615-650 तय किया था जिसमें लगभग 6 करोड़ शेयर थे जिनकी वैल्यू लगभग 4300 करोड़ थी। लिस्टिंग के दिन 4 करोड़ शेयरों की ट्रेडिंग और लगभग 4000 करोड़ के व्यापार के साथ इसका रेट 650 से सीधा 939 तक जाना अपने आप में अभुतपूर्व इतिहास है। यह सब जो हो रहा है, भगवान राम, हनुमान जी, सब दैवीय शक्तियों तथा पूज्य बापू के अनुग्रह से हो रहा है। अभी तक यह आन्दोलन संघर्षों के बीच चल रहा था। उसमें अब एक नया आयाम आया है। हमने रुचि सोया कम्पनी पर लगभग 3 हजार करोड़ केाण को एक ही बार में चुकाकर उसेाणमुक्त कर दिया है। हमें तो देना है, कुछ पाना नहीं है। साधु तो अनंत का मार्गी है। सब भारतवासियों की भावना है कि भारत में गुरुकुलीय शिक्षा व्यवस्था की पुन: प्रतिष्ठा हो। आजादी के 75 वर्षों के बाद शिक्षा व्यवस्था योग मूलक, वेद मूलक, धर्म मूलक, अध्यात्म मूलक व्यवस्था शासन के अनुशासन से प्राणित होकर चले, यही हमारा प्रयास है। भारतीय शिक्षा बोर्ड का 12वीं तक का पाठ्यक्रम लगभग तैयार हो चुका है तथा इस वर्ष इसकी परीक्षाएँ भी शुरू हो जाएँगी। अगले वर्ष से यह मानस गुरुकुलम् का आन्दोलन पूरे देश में चल पड़ेगा। आने वाले 20-25 वर्षों में हम इस कार्य को गति देने के लिए 50 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए के अर्थ की आवश्यकता होगी जिसमें यह सारा परमार्थ लगेगा। अभी पतंजलि आयुर्वेद और पतंजलि मेडिसिन की भी लिस्टिंग का भी क्रम होगा तो भारत ही नहीं पूरी दुनिया की एफएमसीजी की सबसे बड़ी परमार्थ मूलक, अर्थ मूलक कम्पनी पतंजलि होगी।
शहरी विकास प्रेमचन्द अग्रवाल ने आरती कर कथा के आठवें दिन का समापन किया। इस अवसर पर आचार्य बालष्ण, सतुआ बाबा, डा़यशदेव शास्त्री, रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा, एऩपी़सिंह, साध्वी आचार्या देवप्रिया, बहनातम्भरा, प्रो़महावीर अग्रवाल, ललित मोहन, आचार्य आनंद प्रकाश, बहन प्रवीण पूनीया, ड़निर्विकार, एऩसी़ शर्मा, बहन अंशुल, बहन पारूल, स्वामी परमार्थ देव, भाई राकेश कुमार, प्रो़के़एऩएस़ यादव, प्रो़वी़के़क कटियार व वी़सी़ पाण्डेय के साथ पतंजलि विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षकगण, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनों व विभिन्न प्रांतों से पधारे हजारों श्रद्घालुओं ने कथा श्रवण का लाभ लिया।

 

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