बिग ब्रेकिंग

पटाखों की बिक्री एवं इस्घ्तेमाल पर प्रतिबंध हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, जानें क्घ्या कहा

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। कोरोना महामारी के दौरान शहरों में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, एनजीटी ने अपने आदेश में पहले ही इस मामले पर फैसला दे दिया है और आगे इस पर स्पष्टीकरण या विचार की जरूरत नहीं है।
पीठ ने आगे कहा कि अधिकारी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की कैटेगरी के मुताबिक पटाखों की बिक्री या इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि पटाखों के उत्पादन की अनुमति दी गई थी और जो इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं, वे एक्यूआइ की कैटेगरी के आधार पर अनुमति से ऐसा कर सकते हैं। शीर्ष कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध उन स्थानों पर है जहां वायु की गुणवत्ता खराब है।
पीठ ने कहा, वायु की कैटेगरी पर सिर्फ प्रतिबंध ही बचाव है। जिस क्षण वायु की गुणवत्ता खराब होती है, सभी गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। शीर्ष अदालत पटाखा विक्रेताओं और डीलरों की एनजीटी के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर समेत खराब एक्यूआइ वाले शहरों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सुनवाई के दौरान पटाखा विक्रेताओं की ओर से पेश अधिवक्ता साई दीपक जे़ ने दलील दी कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के प्रदूषण फैलाने वाले शीर्ष 15 कारणों में पटाखे शामिल नहीं थे। इस पर पीठ ने कहा कि लोगों की सेहत पर पटाखों के दुष्प्रभावों का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययनों की जरूरत नहीं है।
पीठ ने सवाल किया, क्या आपको अपनी सेहत पर पटाखों का दुष्प्रभाव समझने के लिए आइआइटी की जरूरत है? दिल्ली में रहने वाले किसी भी व्यक्ति से पूछिए कि दिवाली के दौरान क्या होता है। पीठ ने कहा कि जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे सुनिश्चित करेंगे कि प्रतिबंधित किए गए पटाखों की बिक्री न हो। उल्लंघन के मामलों में उन्हें हर्जाना वसूलने का अधिकार भी दिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!