संस्कृति के संरक्षण के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तर मध्य क्षेत्र संस्कृति केन्द्र प्रयागराज एवं सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गुरू शिष्य परम्परा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। भारतीय लोक भाषाओं के जानकारों, विषय विशेषज्ञों व कलाकारों को प्रोत्साहित करके ही संस्कृति को जीवित रखा जा सकता है। भारत की संस्कृति अनादिकाल से ही विश्व की सिरमौर रही है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों ने थड़िया, चौफुला नृत्य की प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि ने कहा कि विलुप्त होती संस्कृति की जागरूकता के लिए केन्द्र के निदेशक इन्द्रजीत ग्रोवर के माध्यम से उत्तराखण्ड में कइ दिनों से कार्यशालाएं चल रही है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते भौतिकवादी युग में हमारी प्राचीन संस्कृति और सामाजिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। इसके संरक्षण के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा। प्रशिक्षक नत्थी लाल नौटियाल इस कार्यशाला का संचालन करेगें। जबकि राकेन्द्र सिंह रौथाण, हिमांशु नौटियाल प्रशिक्षण देगें। रोहित, राहुल, अंजलि, एकता डबराल प्रशिक्षण लेगें। प्रशिक्षक राकेन्द्र सिंह रौथाण ने बताया कि थड़िया लोकगीत खुले आंगन में या थाड़ में होता है। इसमें टोलियां बनती है। इस लोकनृत्य में कमर, गला, पैर, सिर का नर्तन संकुचन एवं भाव विविधता के दर्शन अपूर्व होते है। हिमालय की बेटियों का श्रृंगार से आर्कषण केन्द्र बना रहता है।

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