कोटद्वार-पौड़ी

नगर निगम में घोटाला: फर्जी हस्ताक्षर कर निकाली लाखों की धनराशि, मुकदमा दर्ज

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नगर निगम की बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान सामने आया घोटाला
बिना कार्य किए वरिष्ठ सहायक ने ठेकेदार को दे दी लाखों की धनराशि
नगर आयुक्त की तहरीर पर निगम कर्मी व ठेकेदार के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम के खाते से फर्जी चेक बुक और हस्ताक्षर कर 21.33 लाख रुपये निकाले के मामले को अभी एक वर्ष ही बीता था कि नगर निगम में एक और घोटाला सामने आ गया है। तत्कालीन नगर आयुक्त पीएल शाह व लेखाधिकारी निकिता बिष्ट के फर्जी हस्ताक्षर कर एक ठेकेदार को तैईस लाख उन्नवें हजार पांच सौ चौरासी रुपये का भुगतान कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि उक्त निर्माण कार्य कहीं भी धरातल पर हुआ ही नहीं है। ठेकेदार का वर्ष 2021 में नगर निगम में पंजीकरण हुआ था। जबकि, उसे भुगतान वर्ष 2018 की निविदा का कर दिया गया। यह घोटाला नगर निगम की बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान सामने आया। नगर आयुक्त की तहरीर पर पुलिस ने ठेकेदार व निगम कर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस को दी तहरीर में नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी ने बताया कि बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान फर्जी भुगतान का मामला पकड़ में आया। बैंक द्वार उपलब्ध कराए गए चैंकों की सत्यापित प्रति पर तत्कालीन नगर आयुक्त प्यारेलाल शाह व लेखाधिकारी निकिता बिष्ट के हस्ताक्षर दर्शाये गए थे। जिसकी पुष्टि हेतु तत्कालीन नगर आयुक्त प्यारेलाल शाह व लेखाधिकारी को सूचित किया गया। जिसके जबाव में उन्होंने बताया कि उक्त हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। बताया कि विभागीय जांच की गई तो गबन में निगम के वरिष्ठ सहायक पंकज रावत व ठेकेदार सुमिता देवी की अहम भूमिका सामने आई। बताया कि पंकज रावत ने वर्ष 2021 में पंजीकृत ठेकेदार सुमिता देवी को वर्ष 2018 में जिस कार्य की निविदा जारी की गई उसका भुगतान कर दिया। जबकि निविदा के समय सुमिता देवी निगम की पंजीकृत ठेकेदार नहीं थी। इसके लिए फर्जी कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार कर फर्जी हस्ताक्षर के माध्यम से अलग-अलग समय में भुगतान किया गया। पत्रावली में अवर अभियंता द्वारा तैयार बिल पर दिनांक 20.05.2021 की तिथि अंकित है। तथा हस्ताक्षर अवर अभियंता अखिलेश खंडूरी के दर्शाए गए हैं। बिल पर एमबी बुक का नंबर एवं पृष्ट संख्या दर्ज नहीं है। एमबी पर सहायक अभियंता एवं ठेकेदार के भी हस्ताक्षर नहीं है। अवर अभियंता अखिलेश खंडूरी ने बिल देखकर बताया कि बिल उनके द्वारा नहीं तैयार किया गया है। बिल पर जिस हस्तलिपि में लिखा गया है वह भी उनकी नहीं है। साथ ही उनके हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किए गए हैं। जांच में सामने आया कि जिस कार्य का भुगतान सुमिता देवी को किया गया उस कार्य का भुगतान वर्ष 2019 में निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार को हो चुका था। यही नहीं सुमिता देवी को किए गए भुगतान का बिल पंजिका में भी दर्ज नहीं है। पूरी जांच में सामने आया कि फर्जी चैक के माध्यम से तैईस लाख उन्नवें हजार पांच सौ चौरासी रुपये का भुगतान कर दिया गया। वहीं, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह ने बताया कि नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी, की तहरीर पर निगम के वरिष्ठ सहायक पंकज रावत ठेकेदार सुमिता देवी के खिलाफ विभिन्न निविदाओं के लिए धोखाधड़ी और कूटरचित चेक व दस्तावेज तैयार कर गबन करने का मुकदमा दर्ज किया गया है।

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