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सेबी ने अदाणी मामले की जांच पूरी करने के लिए और 6 महीने मांगे, सुप्रीम कोर्ट से की अपील

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नई दिल्ली, एजेंसी। बाजार नियामक सेबी ने अदाणी के शेयर मूल्य में हेरफेर के आरोपों और नियामकीय खुलासे में किसी तरह की चूक की जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय बढ़ाने की मांग के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। शीर्ष अदालत ने दो मार्च को सेबी से दो महीने के भीतर मामले की जांच करने और भारतीय निवेशकों की सुरक्षा पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने को कहा था। अदालत के समक्ष दायर एक आवेदन में, सेबी ने कहा है कि कि “वित्तीय गलत बयानी, नियमों की अवहेलना और लेनदेन की धोखाधड़ी से संबंधित संभावित उल्लंघनों का पता लगाने के लिए इस अभ्यास को पूरा करने में छह महीने और लगेंगे।
याचिका में कहा गया है, ”जांच पूरी करने के लिए समय को छह महीने या ऐसी अन्य अवधि के लिए बढ़ाएं जो अदालत वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उचित और आवश्यक समझे। शीर्ष अदालत ने मौजूदा नियामकीय ढांचे के आकलन और प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए सिफारिशें करने के उद्देश्य से पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था।”
अदालत की ओर से नियुक्त न्यायमूर्ति सप्रे पैनल को केंद्र और सेबी अध्यक्ष सहित अन्य वैधानिक एजेंसियों की ओर से सहायता प्रदान की जानी है। शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को कहा था कि अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट की पृष्ठभूमि में बाजार में उतार-चढ़ाव से भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है। अदालत ने केंद्र से कहा था कि वे नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने पर विचार करे।
केंद्र ने नियामकीय व्यवस्थाओं पर गौर करने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। मुद्दे पर शीर्ष अदालत में वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले मुकेश कुमार ने चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अदाणी समूह पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-मूल्य में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए जाने के बाद कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि अदाणी समूह ने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा है कि वह सभी कानूनों और नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।

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