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सेना की ताकत में होगा और इजाफा, हथियारों की खरीद के लिए 28 हजार करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी

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नई दिल्ली, एजेंसी। चीन और पाकिस्तान से सीमा पर लगातार मिल रही चुनौतियों से निपटने और देश के खिलाफ किसी भी नापाक मंसूबों को धराशायी करने के लिए भारतीय सेना को जल्द ही और नए हथियार, उपकरण और अन्य साजो-सामान मुहैया कराए जाएंगे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने घरेलू उद्योगों से 28,000 करोड़ रुपए के उपकरण, साजो सामान की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना की हथियार और उपकरणों सहित अन्य सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद ने कुल 28 हजार करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को मंजूरी दी है। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी है, उनमें वायु सेना के लिए विमानों की मौजूद्गी का पता लगाने वाली पूर्व चेतावनी प्रणाली, नौसेना के लिए अपतटीय गश्ती पोत शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने घरेलू उद्योग से 27,000 करोड़ रुपए के खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय की खरीद पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई डीएसी ने खरीद के कुल सात प्रस्तावों को मंजूरी दी।
मंत्रालय ने कहा, 28,000 करोड़ रुपए के सात प्रस्तावों में से छह प्रस्ताव 27,000 करोड़ रुपए के हैं। इसके तहत मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारतश् अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उद्योग को एओएन (स्वीकार्यता मंजूरी) दी जाएगी। खरीद प्रस्तावों में डीआरडीओ द्वारा तैयार वायु सेना के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली (हवाई जहाजों की मौजूद्गी के बारे में), नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के गश्ती पोत और थल सेना के लिए मड्यूलर ब्रिगेड शामिल हैं।
इस रक्षा खरीद को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है जबकि लद्दाख के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत और चीन के बीच काफी लंबे समय से गतिरोध जारी है। कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद भी अब तक तनाव कम नहीं हो सका है। हालात ऐसे हैं कि सीमा के दोनों तरफ भारत और चीन की सेना काफी संख्या में जमा है। वहीं नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान की तरफ से भी लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन जारी है। इतना ही नहीं समय-समय पर भारी संख्या आतंकियों की घुसपैठ भी सीमा पार से होती रहती है। हालांकि सीमा पर तैनात हमारे जवान उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देते।

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