मणिपुर हिंसा में हुआ सनसनीखेज खुलासा! कौन है जिसने एंबुलेंस में भरे उपद्रवी और हथियार?
मणिपुर, एजेंस। मणिपुर में 03 मई से शुरू हुई ‘हिंसा’ खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। पिछले 24 घंटे के दौरान भड़की हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई। दर्जनों लोग घायल हुए हैं। खामेनलोक इलाके में रात को जमकर फायरिंग हुई। राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से ही वहां के दोनों प्रमुख समुदाय ‘कुकी और मैतेई’ एक-दूसरे पर हिंसा करने का आरोप लगा रहे हैं। पुलिस थानों एवं दूसरी जगहों से लूटे गए करीब छह हजार हथियारों में से 13 जून तक महज 1040 हथियार जमा हुए हैं। अब मणिपुर की हिंसा में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। वहां इराक युद्ध का जिक्र होने लगा है। ऐसे आरोप लग रहे हैं कि हिंसा में शामिल एक समूह, एंबुलेंस में उपद्रवी और हथियार भर कर ले जा रहा है। यह बात युद्ध पर आधारित सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है। इस संबंध में, द इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स वॉच ने इराक युद्ध के दौरान कहा था कि ‘सैन्य हमलों के लिए चिकित्सा प्रतीक चिन्ह वाले एंबुलेंस या अन्य किसी चिकित्सा परिवहन का उपयोग, युद्ध के कानूनों का गंभीर उल्लंघन है। इसे युद्ध अपराध के बराबर माना जाता है।
मणिपुर में हिंसा को खत्म कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मई के अंतिम सप्ताह में वहां का दौरा किया था। वे एक जून को दिल्ली लौटे थे। उन्होंने सुरक्षा बलों के साथ राज्य की स्थिति पर चर्चा करने के अलावा कुकी और मैतेई समूहों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की थी। लूटे गए हथियार जमा कराने के लिए लोगों को एक सप्ताह का समय दिया गया था। हालांकि बाद में इसकी अवधि बढ़ा दी गई। इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन भी शुरू कर दिया। मणिपुर में कांग्रेस पार्टी की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट में गृह मंत्री के ‘एक्शन’ पर सवाल उठाया था। पार्टी नेताओं का कहना था कि लूटे गए हथियारों और गोला बारूद की खराब बरामदगी, इसका एक सबूत है। मणिपुर में गृह मंत्री की चेतावनी के बावजूद लूटे गए हथियारों की वापसी की रफ्तार बहुत धीमी है। राज्य में 349 से ज्यादा राहत कैंपों में 50,000 लोग रह रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि मणिपुर में हो रही हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जल्द से जल्द वहां का दौरा करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, मैतेई और कुकी, ये दोनों समुदाय एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। कुकी समुदाय का आरोप है कि मणिपुर पुलिस कमांडो, मैतेई का साथ दे रहे हैं। ऐसा आरोप भी है कि मैतेई समुदाय के लोग कथित तौर पर कुकी बाहुल्य गांवों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर रहे हैं। हिंसा में शामिल लोगों और हथियारों को ले जाने के लिए परिवहन के साधन के रूप में एंबुलेंस का उपयोग किया जा रहा है। यह बात युद्ध आधारित सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों, समझौतों व कानूनों के खिलाफ है। जिनेवा कन्वेंशन के माध्यम से रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति ने इस संबंध में कुछ नियम/सिद्धांत निर्धारित किए हैं। द इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स वॉच ने इराक युद्ध के दौरान भी यह बात कही थी कि सैन्य हमलों के लिए चिकित्सा प्रतीक चिन्ह वाले एंबुलेंस या अन्य चिकित्सा परिवहन उपकरण का उपयोग युद्ध के कानूनों का गंभीर उल्लंघन है। इसे युद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। इस तरह के हमले, 1977 के जिनेवा सम्मेलनों के अतिरिक्त प्रोटोकॉल, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की रोम संविधि और युद्ध के प्रथागत कानूनों के तहत युद्ध अपराध हैं।