उत्तराखंड

सीवर लाइन का कार्य रामभरोसे, जनता के लिए बना सरदर्द–

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अल्मोड़ा। नगर की सीवर व्यवस्था सुधरने की कवायद काफी समय से चल रही थी। नगर की प्रस्तावित सीवर लाइन का कार्य किश्तों में चल रहा है। सीवर लाइन कार्य आम लोगों के लिए सरदर्द बनता जा रहा है। लगभग डेढ़ माह से चल रहे सीवर लाइन कार्य में कई अनियमितताएं दिखाई दी। बेतरतीब तरीके से चल रहे इस कार्य की कार्यदाई संस्था उत्तराखंड जल निगम है। सीवर कार्य में ठेकेदार द्वारा कहीं रास्ता खोद दिया तो कहीं पालिका की सीढ़ियों को बिना अनुमति तोड़ दिया। दरअसल, वर्तमान में शिखर तिराहे से जाखनदेवी तक लाइन डालने का कार्य चल रहा है। यह कार्य जनवरी माह से शुरू हुआ था और 03 फरवरी तक पूरा हो जाना चाहिए था परन्तु फरवरी माह का एक पखवाड़ा बीत गया है लेकिन कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। कार्य के चलते सड़क खोदी गई जिससे मिट्टी सड़क पर ही रही और मिट्टी की सफाई की ठेकेदार द्वारा कोई भी व्यवस्था नहीं की गई। सीवर लाइन कार्य शुरू होने के बाद से यह मार्ग चौपहिया वाहनों के लिए बंद रहा। दोपहिया वाहनों हेतु भी मार्ग कभी खुला, कभी बंद रहा। इस कार्य के चलते नगर और क्षेत्र के व्यापारियों का व्यापार प्रभावित है। स्थानीय रहवासी धूल-मिट्टी में जीने को मजबूर हैं। स्कूल के बच्चों का स्कूल जाना दूभर हो रहा है। लोग 2-3 किमी लम्बा मार्ग तय कर गंतव्य को जा रहे हैं। बारिश के मौसम में सड़क पूरी कीचड़ से भरी रही। सीवर लाइन कार्य के दौरान ठेकेदार की लापरवाही से एक हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। ठेकेदार की गलती के चलते हुई मौत पर विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। विभाग के अधिकारी हादसे में हुई मौत के लिए किसको जिम्मेदार मानें बता नहीं पा रहे हैं। एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद भी विभाग द्वारा ठेकेदार पर किसी भी प्रकार की विभागीय कार्यवाही नहीं की गई है। पूछने पर विभाग के आला अधिकारी ट्रैक्टर चालक को दोषी बता रहे हैं। लेकिन ठेकेदार की गलती बोलने को कोई तैयार नहीं। विभागीय अधिकारी भी इतने बड़े कार्य में कभी कभार ही नजर आए जबकि कार्यालय से कार्यस्थल की दूरी करीब 03 किमी है। ठेकेदार द्वारा कार्य में प्रयुक्त ट्रैक्टर ट्रली भी षि कार्य हेतु पंजीत था तथा उस पर विभाग का बोर्ड लगा हुआ था। इस पर भी विभाग के अधिकारी एकमत नहीं है कोई कह रहा है कि विभागीय कार्यों में चलता है तो किसी अधिकारी का कहना है कि संज्ञान में नहीं है। सीवर कार्य न तो समय पर पूरा हो रहा है न दोषी ठेकेदार पर कोई कार्यवाही हो रही है। ठेकेदार पर कार्यवाही से विभाग क्यों हिचकिचा रहा रहा है यह विभाग जाने। लेकिन यदि ठेकेदार की गलती नहीं है तो क्या विभाग की गलती मानी जा सकती है क्योंकि कार्यदाई संस्था तो जल निगम है। बहरहाल दोषी जो भी हो उस पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए तथा किसी भी हालत में नहीं बख्शा जाना चाहिए।

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