सिद्धपीठ ताड़केश्वर धाम में रोपा रूद्राक्ष का पौधा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। अधर्म पर धर्म की विजय असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक विजयदशमी पर्व के अवसर पर सिद्धपीठ ताड़केश्वर धाम में रूद्राक्ष का पौधा रोपा गया।
पर्यावरण मित्र ग्रीन आर्मी देवभूमि के कार्यकारी अध्यक्ष शिवम नेगी, श्री ताड़केश्वर धाम के पुजारी ब्रह्मानंद व स्वयं सेवक अविनाश नैथानी सहित मंदिर परिसर के सदस्यों ने रूद्रास का पौधा रोपा। पुजारी ब्रह्मानंद ने रूद्राक्ष के विषय में बताया कि रूद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है, रूद्र व अक्ष यानि शंकर भगवान की आंख से गिरी जल की बूंद से रूद्राक्ष की उत्पात्ति हुई है। शिवपुराण के अनुसार संसार के कल्याण कामना के लिए भगवान शिव ने हजारों वर्ष तपस्या की। उस समय उन्हें भय सा लगा और उन्होंने अनायास ही नेत्र खोल दिए। तभी एक अश्रु गिरा तथा इसी बीज रूपी अश्रु से रूद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई। लोक कल्याण की भावना से भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। अत: रूद्राक्ष की माला भगवान शंकर की पूजा में अनिवार्य मानी जाती है। मान्यता के अनुसार रूद्राक्ष धारण करने से मुक्ति कल्याण व सर्वांगीण सुख शांति मिलती है।