बिग ब्रेकिंग

..तो 2025 तक सड़कों से गायब हो जाएंगी जीएमओयू की बसें

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-पिछले दो सालों में जीएमओयू की 150 बसें हटाई जा चुकी हैं सड़कों से
-15 साल पूरे होने के बाद सड़कों पर नहीं दौड़ सकते वाहन, जीएमओयू की अन्य सबें भी जल्द पूरे कर रही हैं 15 साल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : अगर आपसे यह कहा जाए कि आने वाले दो से तीन साल के बाद आप जीएमओयू की बसों में सफर नहीं कर पाएंगे तो आपको थोड़ी हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह बिलकुल सच है। जीएमओयू की अधिकांश बसें जल्द ही अपने 15 साल पूरे कर लेंगी। ऐसे में इन बसों को सड़कों पर नहीं दौड़ाया जा सकेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2025 तक करीब 25 प्रतिशत बसें ही गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन के पास रह जाएंगी। ऐसे में पहाड़ों समेत सभी रूटों पर बसों का संचालन करना जीएमओयू के लिए आसान नहीं होगा।
जीएमओयू की कोटद्वार डिपो से हरिद्वार, ऋषिकेश, कर्णप्रयाग समेत पहाड़ों के दूरस्थ क्षेत्रों में बसें संचालित होती हैं। अगर यह कहा जाए कि जीएमओयू की बसें पहाड़ों में यातायात व्यवस्था में संजीवनी का काम करती हैं तो कुछ गलत नहीं होगा। बिना जीएमओयू की बसों के पहाड़ों पर सुदृढ़ यातायात व्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में जल्द ही जीएमओयू की बसों के सड़कों से गायब हो जाने की बात आमजन के साथ सिस्टम को थोड़ा परेशान जरूर कर सकती है।
दरअसल, पिछले दो सालों में कोरोना की मार झेल रहे जीएमओयू की करीब 150 बसें सरकार के नियम के अनुसार 15 साल पूरे करने के बाद सड़कों से हटा दी गई हैं। जिससे अब जीएमओयू के पास मात्र सवा तीन सौ बसें बची हैं। इनमें भी 45 बसें रामनगर डिपो में हैं। ऐसे में कोटद्वार डिपो के पास करीब 280 बसें ही बच गई हैं। जीएमओयू के अनुसार इन बसों में भी अधिकांश 2023 व 2024 तक अपने 15 साल पूरे कर लेंगी। यदि नई बसों की खरीद न की गई तो संभव है कि 2025 तक सड़कों पर जीएमओयू की गिनी-चुनी बसें ही दौड़ती नजर आएं।

महंगाई व कम किराया मिलने के कारण वाहन स्वामी नहीं खरीद रहे हैं नई बसें
जीएमओयू के माध्यम से बसें संचालित कर रहे वाहन स्वामियों का कहना है कि महंगाई काफी बढ़ गई है। ऐसे में नई बसों को खरीद पाना बहुत मुश्किल है। जो बसें चल रही हैं, उनमें भी किराया बहुत कम मिल रहा है। पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में लगातार नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि सरकार को वाहन स्वामियों की समस्याओं को समझना चाहिए और किराये में बढ़ोतरी करने के साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम पर नियंत्रण करना चाहिए।

छोटे वाहन ले सकते हैं जीएमओयू की बसों की जगह
बड़ी बसों के महंगी होने के कारण जीएमओयू अब छोटे वाहनों को संचालित करने की योजना बना रहा है। जिसके अनुसार जल्द ही पहाड़ी रूटों पर जीएमओयू के मैक्स व अन्य छोटे वाहन दौड़ते नजर आ सकते हैं। जीएमओयू प्रबंधन के अनुसार वाहन स्वामी बड़ी बसों को खरीदने से हाथ पीछे खींच रहे हैं। ऐसे में छोटे वाहन बेहतर विकल्प हो सकते हैं, इस पर विचार किया जा रहा है। अगर योजना सफल होती है तो जीएमओयू एक नए अवतार में सड़कों पर यातायात संचालित करेगा।

क्या कहते हैं जीएमओयू के अध्यक्ष
गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल का कहना है कि कोरोना के पिछले दो साल जीएमओयू के लिए बहुत बुरे रहे। इन दो सालों में जीएमओयू की कमाई तो घटी ही, साथ ही करीब 150 बसें भी सड़कों से हट गईं। अब कोटद्वार डिपो में मात्र 280 के करीब बसें बची हैं। इनमें भी अधिकांश जल्द ही अपने 15 साल पूरे कर लेंगी, ऐसे में 2025 तक मात्र 25 प्रतिशत बसें ही जीएमओयू संचालित कर पाएगा। सरकार जीएमओयू की बसों का किराया बढ़ा नहीं रही है और पेट्रोल-डीजल दिन प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है, ऐसे में वाहन स्वामी भी नई बसें खरीदने को तैयार नहीं हैं।

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