उत्तराखंड

तो महिलाएं बन रहीं हैं बाघ का आसान शिकाऱ.़फतेहपुर रेंज में बड़े-बड़े शिकारी-ड्रोन भी आदमखोर के आगे फेल

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नई टिहरी। रामनगर वन प्रभाग की फतेहपुर रेंज में पिछले छह महीनों से बाघ का खौफ बना हुआ है। वन विभाग बाघ को पकड़ने में नाकाम रहा है। लेकिन बाघ महिलाओं को आसानी से अपना शिकार बना रहा है। दिसंबर माह से बाघ का खौफ शुरू हुआ था। तब से 7 लोग बाघ का शिकार हो चुके हैं।
गुरुवार को मारी गई महिला सातवां शिकार है। दिसंबर से जून तक हुई घटनाओं का रिकर्ड देखें तो बाघ ने जिन लोगों को अपना शिकार बनाया है उनमें 5 महिलाएं और 2 पुरुष हैं। खास बात यह है कि जितनी महिलाएं मारी गईं वे सभी जंगल से घास या लकड़ी लेने गई थीं। ऐसे में काम में व्यस्त महिलाओं को बाघ घात लगाकर आसानी से अपना शिकार बना रहा है।
मारी गई 5 महिलाओं में से 3 वृद्घ थीं। इसके अलावा पूर्व में हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को वन विभाग द्वारा मुआवजा दिए जाने की बात कही गई है। इधर, जगह-जगह हुई पुरानी ऐसी घटनाओं को भी देखें तो बाघ ने महिलाओं या बच्चों को ही अपना शिकार बनाया है।
फतेहपुर वन रेंज में बाघ ने 7वीं महिला को मार डाला
वन विभाग के तमाम दावों और अत्याधुनिक इंतजामों को धता बताते हुए आदमखोर हो चुके बाघ ने फिर एक और बुजुर्ग महिला को निवाला बना लिया। गुरुवार शाम घटना उस वक्त हुई, जब फतेहपुर रेंज में बुजुर्ग महिला साथियों के साथ जंगल में घास लेने गई थी।
फतेहपुर क्षेत्र में बाघ छह महीने में सात लोगों को शिकार बना चुका है। जिससे गुस्साये लोगों ने रामनगर-कालाढूंगी मार्ग पर महिला का शव रखकर करीब साढ़े पांच घंटे जाम लगाया। बताया जा रहा है गुरुवार शाम नवाड़ सैलानी फतेहपुर निवासी नंदी देवी (75) पत्नी खीमा नंद चार अन्य महिलाओं के साथ वसुंधरा कलोनी के पीटे जंगल में घास लेने गई थीं। तभी बाघ ने उन हमला कर दिया और खींचकर जंगल की तरफ ले जाने लगा। नंदी की चीख सुनकर साथ की महिलाएं घटनास्थल की तरफ दौड़ीं और शोर मचाया। इस पर बाघ नंदी को वहीं छोड़कर भाग गया। हालांकि तब तक नंदी देवी की मौत हो चुकी थी। रामनगर वन प्रभाग का फतेहपुर रेंज बाघ के आतंक के लिए राज्य में कुख्यात हो गया है। लोगों की जान लेने वाले बाघ और बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग की हर कोशिश फेल साबित हुई है।
29 दिंसबर 2021 को बाघ ने दमुवाढूंगा के जंगलों में एक युवक को अपना पहला शिकार बनाया। करीब ढाई माह शांत रहने के बाद गुरुवार को बाघ ने 7वां शिकार भी कर दिया। पहले और 7वें शिकार के बीच बाघ पर अंकुश लगाने की वन विभाग की सभी कोशिशें पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है
बाघ और बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के लिए गुजरात के जाम नगर से 30 लोगों की टीम अप्रैल के पहले हफ्ते में फतेहपुर रेंज पहुंची। टीम अपने साथ आधुनिक उपकरण व पिंजरा भी लेकर पहुंची। रेंज में बनाए गए चार मचान से टीम बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए जुटी रही। लेकिन एक दिन भी बाघ उनकी रेंज में नहीं आया। करीब 33 दिन बाद टीम अपने साजो समान के साथ लौट गई।
ड्रोन की भी ली गई मदद
जंगल के भीतर बाघ की लोकेशन लेना वन कर्मचारियों के लिए संभव नहीं हो रहा था। पूरे दिन गश्त के बाद भी बाघ नहीं दिख रहा था। जिसके बाद ड्रोन की भी मदद ली गई। लेकिन जंगल में ड्रोन को उड़ने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद ड्रोन सर्च अभियान भी बंद कर दिया गया।
हिमाचल से बुलाए शिकारी भी लौटे
अप्रैल में वन विभाग ने हिमाचल निवासी और उच्च दर्जे के शिकारी आशीष दास गुप्ता को बुलाया है। देश में दूसरे नंबर के शिकारी आशीष दास गुप्ता के साथ मेरठ अमरौली के युवा साथी सयैद अली बिन फादी जो जूनियर नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता के चौंपियन हैं काम पर लगाए। लेकिन दो तीन दिन बाद ही दोनों शिकारियों को वन विभाग ने लौटा दिया।
ट्रेंकुलाइज करना असंभव!
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग के पास ट्रेंकुलाइज करने के लिए जो गन है उसकी रेंज 50 फीट ही है। वन विभाग के डक्टर इस इंतजार में हैं कि कब बाघ उनकी रेंज में आएगा और वह उसे ट्रेंकुलाइज करेंगे। जानकारों का कहना है कि घने जंगल में बाघ उनकी रेंज में मुश्किल से ही आ पाएगा।
80 कैमरे, 8 पिंजरे और चार मचान
बाघ और बाघिन की लोकेशन लेने के लिए वन विभाग ने फतेहपुर रेंज में 80 से ज्यादा कैमरे लगाए हैं। जिनको वन विभाग की टीम रोज जांचती है। इसके अलावा 8 पिंजरे लगाए गए हैं। 4 मचान से उन पर नजर रखने की कोशिश की जा रही है लेकिन सभी कोशिशें असफल साबित हो रही है।

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