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अगले दस सालों तक भारत को हर साल 10-12 चीते देगा दक्षिण अफ्रीका, देश में जल्द आने वाली है नई खेप

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नई दिल्ली, एजेंसी। नामीबिया के बाद अब दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों का नई खेप आने वाली है। इस मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने साफ किया है कि चीतों को एशियाई शेर और तेंदुओं जैसे वन्यजीवों से कोई खतरा नहीं है बल्कि यह सभी के साथ मिलकर रह सकते है। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में भी चीता दोनों के साथ ही रहता है। हालांकि मंत्रालय ने यह टिप्पणी कूनो अभयारण्य में चीतों को तेंदुओं से खतरे को लेकर उठ रहे सवालों पर दी है। बावजूद इसके इस टिप्पणी को भविष्य में यहां एशियाई शेरों के साथ रखने की संभावना से जोड़कर भी देखा जा रहा है। वैसे भी कूनो पालपुर को एशियाई शेरों के लिए ही तैयार किया था।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को पत्रकारों से दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को आने वाले चीतों की नई खेप को लेकर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए समझौते के तहत अगले दस सालों तक वह हर साल दस से बाहर चीते देने के लिए तैयार है। इस कड़ी में वहां से 12 चीतों का पहली खेप लायी जा रही है। इनमें सात नर और पांच मादा चीता शामिल है। इन सभी को एयरफोर्स के ग्लोब मास्टर विमान से लाया जाएगा। जिन्हें लेने के लिए यह विमान दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गया है। इन चीतों को रखने के लिए कूनो पालपुर में दस नए इनक्लोजर ( बाड़े ) तैयार किए गए है। जो नामीबिया से लाए गए चीतों के लिए बनाए गए बाड़ों से काफी हाईटेक और बड़े है।
इस मौके पर चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एस के यादव ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका वैसे तो अगले दस सालों तक हर साल दस से बारह चीतों को देने के लिए तैयार है। बावजूद इसके वैज्ञानिक नजरिए से देखे तो किसी नई प्रजाति के विकास के लिए कम से कम उसकी संख्या 40 होनी चाहिए। ऐसे में हम फिलहाल 40 चीतों को लाने के लिहाज से ही तैयारी कर रहे है। वैसे भी नामीबिया से आठ और अब दक्षिण अफ्रीका से बारह चीतों के आने के बाद देश में चीतों की कुल संख्या बीस हो जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नामीबिया से लाए आठ चीतों में से एक को छोड़कर बाकी सभी फिट और अब अपना शिकार खुद कर रहे है। एक मादा चीतों को कुछ दिक्कत आयी थी, हालांकि जब उसकी हेल्थ हिस्ट्री तलाशी गई तो पता चला कि यह नामीबिया में भी वह एक बार बीमार हो चुकी है। तब वहां इसका आपरेशन भी किया गया था। फिलहाल वह स्वस्थ है।
कूनो पालपुर में चीतों को काफी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखा गया है। जहां नाइट विजन कैमरे से लेकर उनके हर पहल के मूवमेंट पर चौबीसों घंटे नजर रखने के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। शिकारियों से बचाने के उनके बाडों के आसपास खोजी कुत्तों का एक दस्ता भी लगाया गया है। साथ ही सभी चीतों को सेटेलाइट कालर आइडी से भी लैस किया गया है।
विस्तारा एयरलाइन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को पायलटों और केबिन क्रू की सैलरी में बढ़ोतरी की पुष्टि की है। हालांकि उन्होंने इस बात से इंकार कर दिया कि पिछले कुछ दिनों के दौरान करीब 30 पायलटों ने एयरलाइन छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि कंपनी द्वारा वेतन में बढ़ोतरी का निर्णय सालाना वृद्घि का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कुछ पायलटों ने एयरलाइन में आगे के अवसरों को देखते हुए कंपनी छोड़ने के अपने निर्णय को बदल लिया है। हालांकि अधिकारी ने यह नहीं बताया कि कितने पायलटों ने नौकरी छोड़ दी है या फिर छह महीने की अनिवार्य नोटिस की अवधि को पूरा कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि एयरलाइन विस्तारा ने अप्रैल से पायलटों और केबिन क्रू के वेतन में क्रमश: आठ प्रतिशत और छह प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। विस्तारा ने इस संबंध में अपने पायलटों को एक ईमेल भेजा है, जिसमें कहा गया है, ष्जैसे की पहले सूचित किया गया था कि प्रबंधन नियमित आधार पर पायलट वेतन की समीक्षा करना जारी रखे हुए है। एक अप्रैल से पायलटों के सीटीसी में आठ प्रतिशत की वृद्घि आवंटित की जाएगी। इसमें टीएफओ शामिल नहीं है।ष् मालूम हो कि हवाई यात्रा की मांग में लगातार हो रहे वृद्घि के कारण पायलटों की मांग भी बढ़ रही है।

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