कोटद्वार-पौड़ी

पीजी की पढ़ाई के लिए शहरों में जाने को मजबूर छात्र

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. थानसिंह रावत राजकीय महाविद्यालय नैनीडांडा पटोटिया में स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित नहीं होने से इन कक्षाओं के लिए छात्र-छात्राओं को अभी भी रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, देहरादून आदि शहरों तक की दौड़ लगानी पड़ती है। यहां आसपास के उनके लिए पीजी की पढ़ाई के लिए कोई विकल्प नहीं है। यूजी के बाद आगे की पढ़ाई के लिए लंबी दूरी तय करने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है।
पौड़ी जिले के दूरस्थ क्षेत्र में होने की वजह से यहां के छात्र पीजी करने के लिए केंद्रीय विश्व विद्यालय तक भी नहीं आ पाते। यहां से या तो कोटद्वार, देहरादून या फिर मंडल बदल कर कुमाउं के रामनगर व काशीपुर के कॉलेजों की ओर ही रुख करना पड़ता है। करीब दो दशक पहले खुले इस महाविद्यालय में अभी बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ ही स्ववित्त पोषित बीएड पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। यहां स्नातकोत्तर कक्षाओं की मांग पिछले लंबे समय से हो रही है। हिंदी, समाज शास्त्र व राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए प्रस्ताव भी गया है। लेकिन अभी तक शासन से इस मामले में हरी झंडी नहीं मिल पाई। महाविद्यालय के प्राचार्य डा. बीपी उनियाल के मुताबिक इस शिक्षण सत्र में बीए, बीएससी, बीकाम में 218 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। स्ववित्त पोषित बीएड पाठ्यक्रम में 42 छात्र-छात्राएं प्रशिक्षण ले रहे हैं। बताया कि कला संकाय में 7 विषयों में से 6 स्थायी प्रवक्ता व 1 संविदा प्रवक्ता कार्यरत हैं। विज्ञान संकाय में 5 विषयों में से 4 में स्थायी प्रवक्ता कार्यरत हैं व गणित प्रवक्ता का पद रिक्त है। वाणिज्य संकाय में सृजित 2 पदों में दोनों पर स्थायी प्राध्यापक कार्यरत हैं। प्रयोगशाला में नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार आवश्यक उपकरण, सामग्री उपलब्ध हैं। पुस्तकालय में ई ग्रन्थालय, साफ्टवेयर उपलब्ध है। महाविद्यालय परिसर में सीसीटीवी व्यवस्थित रूप से काम कर रहा है। स्मार्ट क्लास की भी व्यवस्था है।
उधर, डिग्री कॉलेज नैनीडांडा में स्नात्कोत्तर कक्षाओं की शुरुआत के लिए अभी इंतजार है। यूजी के बाद स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए छात्र-छात्राओं को यहां से दूसरे शहरों में ही जाना पड़ रहा है, इसके सिवा और कोई विकल्प भी नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को भी अपने बच्चों को पीजी की कक्षाओं में दाखिला दिलाना कोई आसान नहीं है। यानी जहां अभिभावकों के लिए राह आसान नहीं वहीं उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को भी लंबी दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं महाविद्यालय में पुस्तकालय भवन, विज्ञान भवन, प्रयोगशाला, बहुद्देशीय सभागार की भी जरूरत है तो कॉलेज का क्रीड़ा मैदान का विस्तार भी अभी नहीं हो पाया।

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