कोटद्वार-पौड़ी

उपजिला चिकित्सालय श्रीनगर, कोरोनाकाल में डाक्टरों ने दी बेहतर सेवाएं

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राजीव खत्री
श्रीनगर।
कोरोना संक्रमण काल में उपजिला चिकित्सालय श्रीनगर गर्भवती महिलाओं के लिए जीवनदायनी साबित हुआ। स्थिति यह थी चमोली, रुद्रप्रयाग व पौडी जनपदों से लोग जिला अस्पताल जाने के बजाय प्रसव कराने यहां पहुंचे। पिछले एक माह में यहां करीब 300 प्रसव हुए। जिनमें सीजेरियन की संख्या भी काफी थी। बीते मई माह में यहां प्रतिदिन औसतन 20 से 30 प्रसव कराए गए।
अस्पताल के सभी चिकित्सकों ने इस दौरान सर्वोत्तम परिणाम देने का हर संभव प्रयास किया। इन चिकित्सकों की मेहनत का फल रहा कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान सुविधाओं के अभाव में गढ़वाल के चमोली, रुद्रप्रयाग व पौड़ी जनपद की गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान किसी अनहोनी का शिकार नहीं होना पड़ा। गढ़वाल के चार जनपदों की करीब 15 से 20 लाख की आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर पर निर्भर है। चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी व टिहरी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों से लोग यहां गंभीर रोगों के इलाज के साथ ही प्रसव के लिए भी आते हैं। मेडिकल कालेज में नवजात शिशुओं के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई भी है। लेकिन अप्रैल माह के अंत में राजकीय मेडिकल कालेज को कोविड अस्पताल बना दिया गया। जिसके चलते यहां ओपीडी, आईपीडी के साथ ही प्रसव भी बंद करा दिए गए। मेडिकल कालेज की ओपीडी की पूरी जिम्मेदारी उपजिला चिकित्सालय पर आ गई और यहां के चिकित्सकों व अन्य मेडिकल स्टाफ ने इसे बखूबी निभाया भी। उपजिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की मेहनत दूरस्थ ग्रामीण क्षेञों से आई गर्भवती महिलाओं के लिए जीवनदायनी बनी। बीते एक माह के दौरान अस्पताल की महिला रोग एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनाली शाही, डॉ. नेहा, महिला चिकित्साधिकारी कमलेश भारती और निश्चेतक डॉ. आनंद राणा व डॉ निशा ने यहां 3 सौ से अधिक प्रसव कराए। जिनमें 187 सामान्य व 118 सीजेरियन प्रसव कराए गए। अस्पताल के गायनी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि बीते एक माह के दौरान कई बार ऐसा भी समय आया कि पूरे दिन और रात अस्पताल से घर जाने का समय तक नहीं मिला। चिकित्सकों ने बिना थके दिन-रात काम किया। चिकित्सकों ने मरीजों, गर्भवती महिलाओं व तीमारदारों के साथ परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार किया। इसी का परिणाम रहा कि अस्पताल में आईपीडी व ओपीडी की भरमार होने के बावजूद भी कभी विवाद की स्थिति नहीं आई। गर्भवती महिलाओं के बड़े सीजेरियन मामलों में वरिष्ठ सर्जन लोकेश सलूजा ने भी पूरा सहयोग दिया।

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