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कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, एजेंसी। कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बना कर हत्या किए जाने (टारगेट किलिंग) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली के एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा को पत्र लिख कर मामले पर संज्ञान लेने और कश्मीर में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की है। पत्र में निशाना बना कर मारे गए हिंदुओं के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश को यह पत्र वकील विनीत जिंदल ने भेजा है जिसमें गत 31 मई को कश्मीर के कुलगाम में शिक्षिका रजनी बाला की हत्या का मामला उल्लेखित करते हुए कहा गया है कि यह कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाकर हत्या किये जाने (टारगेट किलिंग) का मई महीने में होने वाला सातवां मामला है। इससे पहले आतंकवादियों ने तीन पुलिसकर्मियों और तीन नागरिकों की इसी तरह निशाना बना कर हत्या कर दी थी। 12 मई को कश्मीर के बड़गाम जिले में आतंकियों ने 35 वर्षीय राहुल भट की हत्या कर दी थी।
राहुल कश्मीरी विस्थापितों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री स्पेशल एम्प्लायमेंट योजना के तहत नौकरी कर रहा था। राहुल की हत्या के बाद कई सवाल उठे थे जैसे कि आतंकियों ने उसे कैसे पहचाना और सिर्फ एक हिन्दू की ही आफिस के अंदर जाकर हत्या की। सरकारी दफ्तर में सुरक्षा के कैसे इंतजाम थे कि आतंकी दफ्तर के अंदर घुस कर हत्या कर देते हैं।
याचिका में कहा गया है कि इन हत्याओं से कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं में गुस्सा, असुरक्षा, भय और चिंता है। हिन्दुओं के कश्मीर में निशाना बना कर मारे जाने की घटनाओं ने 1989-90 में कश्मीर में हिन्दुओं के नरसंहार की घटना की याद ताजा कर दी है।
चिट्ठी में कहा गया है कि प्रधानमंत्री स्पेशल एम्प्लायमेंट योजना के तहत नौकरी पाकर घाटी में वापस लौटने वाले कश्मीरी विस्थापित हिंदुओं में से कई ने चुपचाप घर छोड़ दिये हैं और काफी लोग जान के भय से उन्हें कश्मीर घाटी से जम्मू स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं। निशाना बना कर हिंदुओं की हत्या के इन मामलों से कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं में अनिश्चितता और भय का माहौल है।
याचिका में कहा गया है कि ये हत्याएं हमारे देश की संप्रभुता को खुली चुनौती हैं। ये हत्याएं सिर्फ कश्मीरी हिंदुओं में भय व्याप्त करने के लिए नहीं हैं बल्कि देश के खिलाफ युद्घ टेड़ना है। सरकार ने विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं को घाटी में दोबारा बसाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं लेकिन इन टारगेट किलिंग से वह उद्देश्य हतोत्साहित हो रहा है।
अल्पसंख्यक हिंदुओं को कश्मीर में निशाना बना कर मारे जाने की घटनाएं रोकने और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और समग्र तंत्र स्थापित करने की जरूरत है।
भारत सरकार का दायित्व है कि वह कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चत करे। पत्र में मांग की गई है कि भारत सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराए और इसके लिए एक तंत्र स्थापित किया जाए। हाल में हुई हिन्दुओं की हत्याओं के मामले की जांच नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी से कराई जाए। मारे गए लोगों के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा दे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।

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