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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को चेताया, कहा- भड़काऊ भाषण पर लगाम नहीं लगी तो शीर्ष अधिकारी होंगे जिम्मेदार

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नई दिल्ली ,एजेंसी। बुधवार यानी 27 अप्रैल को उत्तराखंड के रुड़की में होने जा रहे धर्म संसद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चेताते हुए कहा कि भड़काऊ भाषण पर लगाम नहीं लगी तो उच्च अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि कार्यक्रम में कुछ गलत होने से रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं।
17 अप्रैल को हिमाचल के ऊना में हुई धर्म संसद पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता कुर्बान अली के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि प्रशासन ने भड़काऊ बातों से रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि ऐसे मामलों के लिए पहले आ चुके निर्देशों के पालन के लिए लिए क्या कदम उठाए गए।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की एक संगठन द्वारा आयोजित धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के बारे में अपमानजनक शब्द कहे थे और नाथूराम गोडसे को बापू की हत्या के लिए सही ठहराया था। कालीचरण महाराज ने कहा कि लोगों को धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार का मुखिया चुनना चाहिए। कालीचरण दास ने कहा था कि इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा करना है। हमारी आंखों के सामने उन्होंने 1947 में कब्जा कर लिया था। उन्होंने पहले ईरान, इराक और अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इस विवाद के बाद कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया गया था।
उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण का एक वीडियो सामने आने के बाद से बवाल मच गया था। दरअसल, इस धर्म संसद में एक वक्ता ने विवादित भाषण देते हुए कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने की जरूरत है। वक्ता ने कहा था कि किसी भी हालत में देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री न बने। वक्ता ने कहा था कि मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक लगानी होगी।

 

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