कोटद्वार-पौड़ी

हवा में चल रहा सिस्टम का अभियान, शहर में धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का प्रयोग

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शासन के आदेश के बाद भी कोटद्वार शहर में नहीं थम रहा पॉलीथिन का उपयोग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : शहर को पालीथिन मुक्त बनाने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। बाजार में खुलेआम पालीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है। यही नहीं शहर से उठाने वाले कूड़े में भी प्रतिदिन सैकड़ों टन पालीथिन का कूड़ा निकल रहा है। लगातार नासूर बन रहे पालीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर निगम व प्रशासन लापरवाह बना हुआ है।
पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में पालीथिन व प्लास्टिक के प्रयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। बकायदा शासन ने प्रशासन व नगर निगम को पत्र भेजते हुए पालीथिन पर रोक लगाने के निर्देश दिए। लेकिन, कोटद्वार नगर निगम ने व प्रशासन ने शासन के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा आज भी शहर में धड़ल्ले से पालीथिन का उपयोग किया जा रहा है। रेहड़ी-ठेली वाले खुलेआम ग्राहकों को पालीथिन में सामान डालकर दे रहे हैं। पांच-छ: महीने में एक बार निगम की टीम बाजार में पालीथिन के खिलाफ अभियान चलाने के लिए निकलती है और चंद रेहड़ी-ठेली व व्यापारियों का चालान काट खानापूर्ति कर देती है।

मुसीबत बन रही पॉलीथिन
शहर में पालीथिन के उपयोग का हाल यह है कि इससे वार्डों में जगह-जगह नालियां भी चोक होने लगी हैं। दरअसल, कई लोग घर का कूड़ा पालीथिन में बांधकर उसे नालियों में फेंक देते हैं। ऐसे में नालियों में फंसी पालीथिन से बरसात के समय समस्या उत्पन्न होने लगती है। ट्रेंचिग ग्राउंड में पहुंचने वाले कूड़े में भी सबसे अधिक पालीथिन ही रहती है। इसे खाने से गोवंश की भी मौत हो रही है।

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