उत्तराखंड

रंगमंच कार्यशाला में समाज में फैली कुरीतियों पर कसा तंज

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उत्तरकाशी। नाट्य दल संवदेना समूह की दो माह की रंगमंच कार्यशाला का रविवार को समापन हुआ। समूह के कलाकारों ने महिला सशक्तीकरण पर आधारित गढ़वाली कल्यों नाटक मंचन के जरिए मौजूदा दौर में पारिवारिक समाज में फैली कुरीतियों पर तंज कसा। कार्यशाला के दौरान नाटक मंचन, लोकगीत, नृत्य सहित नाट्य विद्या का प्रशिक्षण दिया गया।नाट्य दल संवेदना समूह की ओर से पीजी कॉलेज के प्रेक्षागृह में आयोजित दो माह की रंगमंच कार्यशाला में 51 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। नाटक मंचन के दौरान कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों की जमकर तालियां बटोरी और समाज में फैली कुरीतियों पर तंज कसा। इस नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार आज भी नैतिकता की आड़ में किसी प्रकार अनैतिक कार्यों को लोग अंजाम दे रहे हैं। तो वहीं इसे पीड़ित महिला किस प्रकार से पूरी दुनिया से लड़ कर अपने आप को साबित कर समाज के बीच लोहा मनवाती है। जिन लोगों ने कभी उसका तिरस्कार किया था,अंत में वही लोग उस महिला से माफी मांगते हैं। तो वहीं कलाकारों ने मंच पर पारिवारिक जीवन की छोटी-छोटी बातों को बहुत ही शानदार तरीके से दर्शकों के सामने रखा। नाटक का निर्देशन सहित संगीत अजय नौटियाल और संयोजन जयप्रकाश नौटियाल ने किया। पटकथा लेखिका आशा ममगाईं ने लिखी है। नाटक में डॉ राजेश जोशी, डॉ. दिवाकर बौद्ध, संजय पंवार, गंगा डोगरा, जयप्रकाश नौटियाल, विपिन नेगी, दीप्ति चौहान, दीपा, सुबोध, रोशन, जानह्वी, रानी, सोनिका, आकाश, मानसी, आलोक, अमित, देवराज, नितिन, आशीष ने अभिनय किया।

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