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राजनीतिक विरोध का दुश्मनी में बदलना ठीक नहीं, बिना विस्घ्तृत समीक्षा के पास किए जा रहे कानून: रमना

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जयपुर, एजेंसी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना (ब्ीपमिश्रनेजपबम विप्दकपं छट त्ंउंदं) ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोध का दुश्मनी में तब्दील होना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्घ्छा संकेत नहीं है। सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सम्मान हुआ करता था, जो धीरे धीरे कम हो रहा है। राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए। जस्टिस रमना ने विचाराधीन कैदियों की उच्च संख्या के मसले को गंभीर बताया और इसके निराकरण के लिए कदम उठाए जाने की बात भी कही।
रिपोर्ट के मुताबिक वह राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (ब्वउउवदूमंसजी च्ंतसपंउमदजंतल ।ेवबपंजपवद, ब्च्।) द्वारा राजस्थान विधानसभा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्घ्होंने कहा कि दुर्भाग्य से विपक्ष के लिए जगह कम होती जा रही है। सीजेआइ ने विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा- दुख की बात है कि देश विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता में गिरावट देख रहा है। कानूनों को विस्तृत विचार-विमर्श और समीक्षा के बिना पारित किया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश के 6़10 लाख कैदियों में से करीब 80 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। ऐसे में उन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने की जरूरत है जो बिना किसी मुकदमे के लंबे समय तक कैद की ओर ले जाती हैं। आपराधिक न्याय प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के लिए एक समग्र कार्य योजना की आवश्यकता है। पुलिस का प्रशिक्षण और संवेदीकरण भी बेहद महत्घ्वपूर्ण पहलू है। जेल प्रणाली का आधुनिकीकरण भी आपराधिक न्याय व्घ्यवस्घ्था में सुधार का एक पहलू है।
रमना ने जयपुर में 18वें अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र को भी संबोधित किया। उन्घ्होंने कहा कि अंधाधुंध गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने में कठिनाई तक, विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक जेल में रखने की प्रक्रिया पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लंबे समय तक कैद में रखे जाने की समस्घ्या पर ध्यान देना होगा। यही नहीं हमें आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के लिए एक समग्र कार्य योजना की भी आवश्यकता है।

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