मौसम की बेरुखी ने तोड़ी काश्तकारों की कमर
अल्मोड़ा। संक्रमण की दूसरी लहर से जंग के बीच मौसम की बेरुखी ने फल व सब्जी उत्पादकों की कमर तोड़ दी है। खेती किसानी के साथ हालिया आग से तबाह वन क्षेत्रों के लिए बारिश तो संजीवनी साबित हो रही, मगर ओलों की मार से फल पट्टियां तबाह होने लगी हैं। विकासखंड के फल उत्पादक इलाकों में ओलावृष्टि से फलों को खासा नुकसान पहुंचा है। बर्बाद हुए फलों के दानों से पटे खेत किसानों को भारी घाटे का संकेत दे रहे हैं। दूनागिरि क्षेत्र में गुरुवार को ओलावृष्टि ने काश्तकारों की कमर तोड़ दी। विशेषकर रतखाल, खोलियाबांज व चरी गांव में लगातार तीन घंटे ओले गिरने कारण फसल, फल व सब्जी पूरी तरह बर्बाद हो गई है। रतखाल के ग्रामप्रधान नंदन सिंह, काश्तकार भुवन जोशी आदि ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की तैयार फसल नष्ट हो गई है। इस बार उत्पादन अच्छा हुआ था। वहीं फलों व सब्जी को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने क्षेत्र के काश्तकारों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग उठाई है। इधर, भारी ओलावृष्टि की सूचना पर राजस्व उपनिरीक्षक प्रकाश चंद्र पांडे ने स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि पूरे क्षेत्र का दौरा कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। कपकोट में झमाझम बारिश और ओलावृष्टि जासं, बागेश्वर º जिले में सुबह से आसमान पर बादल छाए रहे। कपकोट में अपराह्न बाद झमाझम बारिश हुई, जिससे वहां ठंडक लौट आई है। जबकि जिले के अन्य हिस्सों में बारिश नहीं होने से उमस भरी गर्मी से लोग परेशान रहे। उच्च हिमालय से सटे इलाकों में ओलावृष्टि होने की सूचना भी है।
पिछले एक सप्ताह से मौसम करवट बदल रहा है। गुरुवार को जिले के कपकोट तहसील में अपराह्न बाद झमाझम बारिश हुई, जिससे सड़कों पर पानी भर गया। कई स्थानों पर मलबा आने से यातायात अवरुद्ध रहा। सरयू नदी का जलस्तर भी बारिश के बाद बढ़ गया है। स्थानीय निवासी रमेश गोस्वामी ने बताया कि झमाझम बारिश के बाद क्षेत्र में ठंडक लौट आई है और हिमालयी क्षेत्र से सटे गांवों में ओलावृष्टि होने से फसलों को नुकसान पहुंचा है। इधर, जिले के अन्य हिस्सों में मौसम शुष्क रहा और उमस भरी गर्मी पड़ी। हालांकि आसमान में बादल होने के कारण बारिश के आसार बने हुए हैं।