मानसिक बीमारों के पुनर्वास की नीति का ड्राफ्ट तैयार, सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया जवाब
नैनीताल । मानसिक रूप से बीमार बच्चों और वयस्कों के उपचार व पुनर्वास को लेकर 2017 में पारित आदेशों के क्रियान्वयन को लेकर हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।
इस दौरान सरकार की ओर से पूरक शपथपत्र दाखिल कर आदेश के क्रियान्वयन को लेकर उठाए गए कदमों की ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखा। कोर्ट (टंपदपजंसीपही ब्वनतज)ने याचिका में न्याय मित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता से जिलाधिकारी स्तर से भी मामले में जानकारी प्राप्त करने को कहा है। अगली सुनवाई नवंबर में नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता में बनी खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से पूरक शपथ पत्र दाखिल किया। इस दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार ने अधिनियम के क्रियान्वयन और 2017 में डा़ विजय वर्मा से संबंधित याचिका में जारी दिशा निर्देशों के अनुपालन में कदम उठाए हैं। इसी साल अगस्त माह में मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की बैठक में मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों के पुनर्वास व पंजीकरण के लिए एक माह के भीतर व्यापक नीति का प्रारूप तैयार करने को समिति का गठन किया गया है।
सरकार ने बताया कि बेंगलुरु में किशोरों के आत्म केंद्रित बौद्घिक अक्षमता और मानसिक विकारों के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए बजट भी मंजूर किया जा चुका है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, नियम, न्यूनतम मानक और मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य व गैर सरकारी संगठन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से कार्यशाला आयोजित करना भी तय किया गया है। स्टेट मेंटल हेल्थ अथरिटी का गठन किया गया है।
सरकार ने ये भी बताया कि 13 जिलों के लिए मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड बनाया है। मानसिक केयर रुल्स का ड्राफ्ट तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया है। राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ के अलावा 16 सदस्यों की नियुक्ति की गई है। यह प्राधिकरण एक माह के भीतर पुनर्वास नीति तैयार करेंगे। मानसिक बीमार लोगों के लिए सरकारी अस्प्तालों में दवा का पर्याप्त स्टक उपलब्ध कराया गया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई नवंबर माह के लिए तय की है।