हाईकोर्ट ने दिया दिल्ली सरकार को और वक्त
नई दिल्ली , एजेंसी। कोविड महामारी के दौरान गरीब किराएदार को किराए का भुगतान न करने पर दिल्ली सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में अदालत की अवमामना याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि अदालत ने दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की किराया देने संबंधी घोषणा को लागू करने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार इस आदेश का पालन करने में फेल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा था यदि कोई गरीब किरायेदार कोविड-19 महामारी के दौरान किराया देने में असमर्थ है, तो सरकार इसका भुगतान करेगी। अदालत ने अब सरकार को इस आदेश को लागू करने के लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के समक्ष पेश दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण ने बताया कि यह मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है। उन्होंने इस संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। अदालत ने मामले की सुनवाई 27 सितंबर तय की है। दरअसल अदालत ने दिल्ली सरकार को इस मामले पर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार आदेश पर अमल नहीं कर पाई। इसके बाद इस संबंध में सरकार पर जानबूझकर अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए एक याचिका दाखिल की गई है। अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है। अदालत ने 22 जून को फैसला सुनाया था कि मुख्यमंत्री के इस वादे पर अमल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार को मुख्यमंत्री केजरीवाल की घोषणा पर छह सप्ताह के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था। दैनिक वेतन भोगी और श्रमिक होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ताओं ने पिछले साल 29 मार्च को संवाददाता सम्मेलन के दौरान केजरीवाल द्वारा किए गए वादे को लागू करने की मांग की है।
अधिवक्ता गौरव जैन के माध्यम से दायर अवमामना याचिका में कहा गया है 6 सप्ताह की समयसीमा दो सितंबर 21 को समाप्त हो गई, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक उपरोक्त निर्देश का पालन नहीं किया है। याचिकाकर्ता नजमा, करण सिंह, रेहाना बीबी ने इस संबंध में सरकार को 29 अगस्त और 30 अगसत को ज्ञापन देकर सरकार से जानकारी मांगी लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि जब तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तब तक किराए के भुगतान पर स्पष्ट नीति नहीं बनाई जा सकती। याचिका के अनुसार सरकार ने जानबूझकर अदालत के आदेश का पालन न करके अदालत की अवमानना की है। अदालत ने अपने 89 पृष्ठों के निर्णय में कहा था महामारी और प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण घोषित तालाबंदी की पृष्ठभूमि में आयोजित प्रेस कन्फ्रेंस में दिए गए एक बयान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को उचित शासन के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन पर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, उसपर नाकामी जाहिर नहीं की जा सकती।