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विख्यात रंगकर्मी और कवि उर्मिल थपलियाल नही रहे

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जयन्त प्रतिनिधि
लखनऊ। विख्यात रंगकर्मी, नाटककार,लेखक, समीक्षक और कवि डॉक्टर उर्मिल थपलियाल हमारे बीच नही रहे। मंगलवार, 20 जुलाई 2021 की शाम 5.30 बजे उन्होंने 79 वर्ष की आयु में लखनऊ स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। य़ह जानकारी देते हुए पार्थसारथि थपलियाल नेबताया कि थपलियाल अपने नाटकों और नौटंकी के कारण विश्व विख्यात थे। वे हिंदी, अवधी, और गढ़वाली नाटकों के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे। डॉ. थपलियाल अप्रेल माह से कैंसर बीमारी से ज्यादा पीड़ित थे।
डॉक्टर उर्मिल थपलियाल आकाशवाणी में प्रमुख समाचार वाचक रहे हैं। सरकारी सेवा में समाचार वाचक के रूप में वे सोहनलाल थपलियाल नाम से विख्यात थे। उनका जन्म पौड़ी गढ़वाल के खैड़ गांव में हुआ था। बाल्यकाल में ही देहरादून चले गए। वहां रामलीलाओं और नाटकों में उनकी प्रतिभागिता ने उन्हें रंगकर्म में जाने की प्रेरणा दी। लखनऊ में वे रंगकर्म से जुड़ गए। उत्तरप्रदेश की प्रमुख नाट्यविधा नौटंकी को नया रूप देने और लोकप्रिय बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। एक विशिष्ट काम उनका बहुत समय तक याद रहेगा वह है नौटंकी विधा को उन्होंने व्यंग विधा में प्रयोग। उन्होंने अनेक नाटक लिखे उनकी लिखी नौटंकी “हरिश चन्नर की लड़ाई” देश के अनेक भागों में मंचित हुई।
उनके दादा स्वर्गीय भवानी दत्त थपलियाल द्वारा लिखित गढ़वाली नाटक “प्रहलाद नाटक” को उन्होंने अपने जीवन पर्यंत जीवित रखा।
उर्मिल थपलियाल को उनके रंगनिर्देशन, नाटक लेखन और प्रदर्शन के लिए संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए।
उनके अंतिम समय मे उनकी पत्नी बीना थपलियाल, बेटा रितेश, बेटी ऋतुन और दामाद सत्येंद्र उनकी देखभाल में थे।
उनके निधन के साथ ही रंगकर्म का एक शिखर पुरुष हमारे मध्य नही रहा। रंगकर्म के आचार्य को शत शत नमन।

विनम्र श्रद्धांजलि-

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