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बजट सत्र में बड़े मुद्दों के साथ सरकार को घेरने की विपक्षी योजना पस्त, चुनाव नतीजों की छाया में टूटे मनोबल का फायदा उठाएगी सरकार

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नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में अहम मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे विपक्ष की रणनीति को पांच राज्यों की चुनावी शिकस्त से गहरा झटका लगा है। सत्र के दूसरे हिस्से में महंगाई, पेगासस जासूसी कांड, बेरोजगारी, सीमा पर चीनी अतिक्रमण, संघीय ढांचे पर प्रहार से लेकर किसानों के मुद्दों को उठाने की विपक्ष ने जोर-शोर से घोषणा की थी। लेकिन चुनाव नतीजों से निराश विपक्ष की सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र को लेकर अब तक कोई ठोस-दशा दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में संभावना यही है कि विपक्ष के इस छूटे मनोबल का सरकार पूरा फायदा उठाते हुए अपने विधायी कामकाज के एजेंडे को धुंआधार तरीके से आगे बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ेगी।
बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान विपक्षी दलों ने इन सभी मुद्दों पर सरकार पर सीधा प्रहार करने के लिए बहस कराने की तैयारी की थी। तब विपक्षी खेमे को पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के इस तरह एकतरफा होने की उम्मीद नहीं थी। इसलिए बजट सत्र के पहले चरण में जब सरकार ने कम समय का हवाला देते हुए विपक्षी दलों को दूसरे चरण में इन मुद्दों को उठाने का प्रस्ताव दिया तो विपक्ष भी राजी हो गया। इसी का नतीजा था कि बजट सत्र का पहला हिस्सा तमाम आशंकाओं के विपरीत बिना शोर-शराबे और बाधा के चला। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद विपक्षी खेमे में जहां हताशा है वहीं जीत के जोश पर सवार सत्ता पक्ष अब सरकार को परेशान करने वाले मुद्दों पर विपक्ष को वार करने का मौका देगा इसकी संभावना कम ही है।
पेगासस जासूसी कांड और चीन की सीमा पर आक्रामकता जैसे मुद्दों पर सरकार बहस कराने से अब तक बचती रही है और विपक्ष मौजूदा सियासी स्थिति में इस पर सत्ता पक्ष को बाध्य कर पाएगा इसमें भी संदेह है। इसके विपरीत सरकार की पूरी कोशिश 14 मार्च से आठ अप्रैल तक चलने वाले इस सत्र के दौरान अधिक से अधिक विधेयकों को पारित कराने पर होगी। जनता से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा के लिए सरकार राजी भी होगी तो मौजूदा हालत में विपक्ष उसे घेरने में कितना सक्षम होगा इस पर भी कई सवाल हैं। यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि विपक्षी दलों की अगुआई कर रही कांग्रेस खुद अपनी सबसे बुरी हार के बाद भारी संकट और अंदरूनी कलह का सामना कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सत्र के दौरान पार्टी की रणनीति तय करने के लिए संसद में पार्टी के रणनीतिक समूह की रविवार सुबह बैठक बुलाई है। मगर कांग्रेस की पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में हार के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने जिस तरह निशाना साधा है उससे कांग्रेस-टीएमसी के रिश्तों में खिंचाव और बढ़ेगा। शीत सत्र और बजट सत्र के पहले चरण में कांग्रेस-टीएमसी के बीच यह तनातनी स्पष्ट रुप से दिखाई भी पड़ी जब सरकार को घेरने वाले मुद्दों पर एक राय रखते हुए भी दोनों के बीच दूरियां बनी रही। विपक्षी खेमे में शामिल समाजवादी पार्टी के लिए भी उत्तरप्रदेश की हार के झटके से इतनी जल्दी उबरना भी आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी जरूर पंजाब की जीत के बाद नए तेवर में होगी मगर अभी तक यह पार्टी विपक्षी गोलबंदी का हिस्सा नहीं बन पायी है।

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