बिग ब्रेकिंग

उत्तराखंड में भी दूषित हुई हवा

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राजधानी दून में भी सांस लेने में घुटन का खतरा बढ़ा, वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कई दिन बाद भी प्रदूषण के स्तर में सुधार नहीं आया है। दीपावली के बाद वायु प्रदूषण और एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में जो उछाल आया, वह अभी भी बना हुआ है। इसके कारण दून में भी सांस लेने में घुटन का खतरा बढ़ा हुआ है। डक्टरों के अनुसार हवा में मौजूद यह खतरनाक तत्व नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषकर सांस संबंधित समस्याओं वाले मरीजों को इसके कारण परेशान होना पड़ सकता है।
राजधानी में वायु स्तर में मौजूद खतरनाक तत्वों का स्तर खतरनाक बना हुआ है। दीपावली के बाद सामान्य तौर पर वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों के दौरान इसमें कुछ कमी आई है, लेकिन अब दिल्ली में खराब हुई हवा के कारण उत्तराखंड पर भी असर पड़ने का खतरा जताया जा रहा है।
अगर ऐसा हुआ तो लोगों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ सकती है। अभी एयर पोल्यूशन एपीआई के मुताबिक दून में ओथ्री एक्यूआई 86 बना हुआ है, जो संतोषजनक है। वहीं, पीएम 2़5 का एक्यूआई 449, सवेरे पीएम 10 का एक्यूआई 425 बना हुआ है, जो बेहद खतरनाक स्तर है। इसके अलावा हवा में 65 फीसदी नमी भी बनी हुई है। केवल ओ थ्री एक्यूआई के स्तर में ही संतोषजनक कमी आई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दून की आबोहवा में धुएं से जहर घुल रहा है। हवा में पीएम 10 के लिए वार्षिक औसत स्तर 20 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर और 24 घंटे के लिए 50 माइक्रो प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पीसीबी के मानकों में यह 60 और 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए। जबकि दून में यह छह से सात गुना तक ज्यादा बना हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर के गंभीर स्तर के प्रदूषण के बीच लंबे समय तक खुले में रहने का सीधा असर शरीर पर पड़ता है। श्वसन तंत्र के साथ इससे खून व किडनी तक पर असर पड़ता है। आइए जानते हैं कि अलग-अलग प्रदूषक शरीर के किन अंगों को बीमार करते हैं।
धूल के महीने कण, पीएम 10 व पीएम 2़5 : आकार के आधार पर पीएम 10 व पीएम 2़5 को परिभाषित किया गया है। जिन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर या इससे कम होती है उसे पीएम 10 कहते हैं। जबकि 2़5 माइक्रोमीटर व इससे कम आकार के कण पीएम 2़5 कहलाते हैं। इनमें ज्यादा खतरनाक पीएम 2़5 होता है। यह सांस के सहारे फेफड़ों से होता हुआ खून में मिल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सदस्य देशों से अब इससे से महीन कणों पीएम 1 का मानक तैयार करने को कह रहा है।

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