चीन में मंदी से कई मायनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा: वित्त सचिव

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नई दिल्ली, एजेंसी। वित्त सचिव टी़वी़ सोमनाथन ने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से कई मायनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी है और इसका असर उन सभी देशों पर होगा जिनके साथ चीन का व्यापार है और भारत का भी चीन के साथ खासा व्यापार है। लेकिन भारत चीन से भारी मात्र में आयात करता है और चीन को निर्यात कम करता है। और चीन में सुस्ती से उन देशों पर अधिक फर्क पड़ेगा जो चीन को निर्यात अधिक करते हैं। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-जुलाई में चीन से होने वाले आयात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 24़7 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इन चार महीनों में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 28़6 अरब डालर का हो चुका है। वहीं चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में चीन होने वाले निर्यात में 33़4 फीसद की गिरावट आई है और इस अवधि में भारत ने चीन को सिर्फ 5़9 अरब डालर का निर्यात किया है।
सोमनाथन ने कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते चीन भारी मात्रा में प्रमुख वस्तुओं के साथ तेल का बड़ा उपभोक्ता है। चीन में सुस्ती से इन वस्तुओं की खपत में कमी आएगी जो भारत के पक्ष में हो सकता है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चीन में सुस्ती अच्छी बात नहीं है कि लेकिन इससे भारत पर खास प्रतिकूल असर नहीं होगा। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की खपत कम होने लगी है और चीन के विभिन्न आर्थिक पैमाने के परिणाम इस बात को जाहिर कर रहे हैं। चीन में खपत कम होने से वैश्विक स्तर पर प्रमुख वस्तुओं के साथ कच्चे तेल की कीमत कम हो सकती है जिसका लाभ भारत को मिल सकता है। भारत अपने निर्यात से जुड़े कई कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर करता है और वस्तुओं की कीमत कम होने से भारत का आयात बिल कम होगा। कच्चे तेल के दाम कम होने से भी भारत के आयात बिल के साथ घरेलू स्तर पर महंगाई में कमी आएगी।
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन में सुस्ती से वैश्विक स्तर पर होने वाले नए निवेश के लिए भारत प्रमुख स्थान के रूप में उभर सकता है और इसके संकेत मिलने लगे है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन में सुस्ती एवं जीरो कोविड नीति को देखते हुए अमेरिका की कंपनियां अपनी सप्लाई को लेकर चिंतित है और वे भारत को विकल्प के रूप में टटोलने लगे हैं। जुलाई माह में चीन के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के साथ बेरोजगारी भी बढ़ गई है। अर्थशास्त्री वर्ष 2022 में चीन की विकास दर चार फीसद से कम रहने का अनुमान लगा रहे हैं जबकि पहले यह अनुमान 5़5 फीसद तक का था।

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