नाटक स्वान सांग और ड्राउन्ड मैन के मंचन ने दर्शकों का मन मोहा
श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र की ओर से दो दिवसीय नाट्य समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर एमए रंगमंच के छात्रों ने रूसी नाटककार एंटोन चेखोव द्वारा लिखे नाटक ड्राउन्ड मैन व द स्वान सांग का मंचन कर दर्शकों का मनमोहा।
गढ़वाल विवि के मिनि प्रेक्षागृह में हुए नाट्य महोत्सव का शुभारंभ डा. आशुतोष गुप्त व डा. लता पांडे ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रो. डीआर पुरोहित और डा. संजय पाण्डेय के मार्गदर्शन और लोक कला एवं निष्पादन केंद्र के अतिथि शिक्षक गौरव सिंह के निर्देशन में हुए नाटक में एमए रंगमंच के छात्रों ने दोनों नाटकों को प्रदर्शित कर उन्हें आत्म-जागरूकता से निपटने वाली मानवीय चेतना को चित्रित करने के लिए आधुनिक रंगमंच की स्वतंत्रता का सहारा लेकर प्रस्तुत करने की कोशिश की। नाटक स्वान सांग की पृष्ठभूमि एक उम्रदराज अभिनेता के इर्द गिर्द है। जो उसके भूतकाल में उसके द्वारा प्रस्तुत की गई भूमिका के निराशाजनक दृष्टकोण को दर्शाता है। उसने अपने जीवन के लगभग पैंतालीस वर्ष अपने दर्शकों के मनो रंजन के लिये समर्पित किये पर वह वर्तमान में अर्थहीन भौर निराशा का सामना कर रहा है। नाटक में उम्रदराज अभिनेता थिएटर में अकेला है जहां उसने एक शाम नाटक किया, विदूषक की भूमिका में उजाड़ मंच, अपने अंधेरे और अकेले के साथ उसने अपने जीवन में कला के लिए एक मज़बूत प्रशंसा पैदा की, लेकिन अपने प्यार का पीछा करते-करते वह समाज से अलग हो गया। मंच पर तो उसकी प्रशंसा हुई लेकिन समाज ने उसे अपने घरों में स्वीकार नहीं किया। इन झूठे मानकों से निराश होकर उसनें शराब की ओर रुख किया और अपने स्वास्थ्य व करियर को खतरे में डालते हुए बेवकूफों और जोकरों के रूप में नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया। उसने अपने 68 वें वर्ष में खुद को मुरझाया, अकेला और भयभीत पाया। उन्होंने ऐसे दर्शकों के लिये अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिकाओं को चित्रित करने में एकांत पाया जो मौजूद नहीं थे। नाटक में ऋषभ बिष्ट, प्राची कंडवाल, शेखर, गौरव सिंह व विकेश बाजपेयी ने सराहनीय अभिनय किया। (एजेंसी)