सुप्रीम कोर्ट ने पति को दी हिदायत, कहा- पत्नी का करें सम्मान, नहीं तो जाना पड़ेगा जेल
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक पति से कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान से पेश आए और अगर वह विफल रहता है, तो जेल जाने के लिए तैयार रहे। कोर्ट की हिदायत के बाद इस युवा जोड़े के बीच समझौता हो गया। पत्नी ने आरोप लगाया था कि पति उसे प्रताड़िघ्त करता है और उसके साथ कभी सम्मान का व्यवहार नहीं करता।
चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की वर्चुअल सुनवाई करते हुए पति और पत्नी दोनों को अनलाइन आने को कहा। दोनों के बीच समझौता कराने के प्रयास में जस्टिस कांत ने दंपती से हिंदी में बातचीत की। पत्नी ने कहा कि वह अपने पति के साथ रहने को तैयार है, लेकिन वह उसके साथ सम्मान से पेश नहीं आता। इस पर जस्टिस कांत ने हिंदी में पति से कहा कि हम आपके व्यवहार पर नजर रखेंगे। यदि आप कुछ भी गलत करते हैं, तो हम आपको नहीं बख्शेंगे।
जस्टिस कांत ने पति को आगाह किया कि वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान के साथ पेश आने के वादे से पीटे न हटे। उन्होंने पति से अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की याचिका सहित सभी मामले वापस लेने को भी कहा। चीफ जस्टिस ने पति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश से कहा कि मामलों को वापस लेने के लिए एक हलफनामा दाखिल करें। लेकिन अगर पति गलत व्यवहार करता है, तो हम उसे वापस जेल भेज देंगे। हम अभी मामले को लंबित रख रहे हैं।
पति ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा और शांति से उसके साथ रहेगा। महिला ने समझौते की शर्त पर जोर देते हुए कहा, बस मुझे टार्चर (यातना) न करे। पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह जमानत के लिए नाटक है, तो हम नहीं छोड़ेंगे। पीठ ने जोर देकर कहा कि जोड़े को अपने रिश्ते को सामान्य करना चाहिए। कोर्ट ने वकील अंजना प्रकाश से कहा कि यह काम कोर्ट की बजाय उन्हें ही करना चाहिए था। कोर्ट की पहल पर पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ सभी मामले वापस लेने पर सहमत हो गए।
उल्लेखनीय है पिछले हफ्ते, चीफ जस्टिस रमना, जो आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं, ने एक महिला के साथ तेलुगु में बातचीत कर दो दशक पुरानी कानूनी लड़ाई का अंत कराया था। चीफ जस्टिस रमना ने महिला को तेलुगु में कानूनी स्थिति के बारे में बताया और कहा कि पति की जेल की अवधि बढ़ाने से दोनों में से किसी को भी मदद नहीं मिलेगी। अंत में, महिला दहेज के मामले में अपने पति के लिए जेल की अवधि बढ़ाने की मांग वाली याचिका वापस लेने के लिए सहमत हो गई थी।