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तालिबान के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्तान] तहरीक-ए-तालिबान से बचाने की लगाई गुहार

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इस्लामाबाद, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शेख राशिद ने कहा कि तालिबान से इस संबंध में बात की गई है। उनसे कहा गया है कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में टीटीपी के कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा किया गया है। इनमें टीटीपी का पूर्व डिप्टी चीफ मौलाना फकीर मुहम्मद भी शामिल है। आतंकी संगठन टीटीपी और आइएस के आतंकी वर्तमान में अफगानिस्तान के नूरिस्तान और निगार में अपने ठिकाने बनाए हुए हैं। पूर्व में पाकिस्तान तालिबान और टीटीपी के डर की वजह से ही अमेरिका को सहयोग करता था। अब स्थितियां बदल गई हैं।
पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। इस संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। यह आतंकी सगंठन मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूका। दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्घ्तान में अपनी जड़ें जमना उसी वक्त शुरू की थी, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था। तहरीक-ए-तालिबान ने पिछले एक दशक में पाकिस्तान में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ खैबर पख्तूनख्वा है। यह पाक पीएम इमरान खान का गृह राज्य है। हाल में ही तहरीक-ए-तालिबान ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं, इस हमले से एक दिन पहले इसी राज्य में पाकिस्तानी सेना पर हमला कर उनके एक कैप्टन और एक जवान की हत्या कर दी थी।
इमरान खान को यह भय सता रहा है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा चरम पर पहुंचती है तो शरणार्थी की आड़ में टीटीपी समेत कई आतंकवादी संगठन के लड़ाके पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं। इसी कारण पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान से लगी सीमा की चौकसी भी बढ़ा दी है। हालांकि, कम संसाधनों के कारण दोनों देशों के बीच कई ऐसे इलाके हैं, जहां निगरानी का बेहद अभाव है।

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