कोटद्वार-पौड़ी

घंटों पिनस (डोली) में अटकी रही सांसें, सड़क को तरस रहे मलाणा के ग्रामीण

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आजादी के दशकों बाद भी जयहरीखाल के ग्राम मलाणा के लिए सपना बनी है सड़क
पूर्व में सड़क का शिलान्यास होने के बाद भी धरातल पर नहीं हुआ सड़क निर्माण कार्य
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भले ही सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के दावे कर रही हो। लेकिन, हकीकत यह है कि आज भी सड़क के अभाव में ग्रामीणों को अपनी जान दांव पर लगानी पड़ रही है। ऐसा ही मामला सोमवार को जयहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम मलाणा में भी देखने को मिला। जहां ग्रामीण दिगंबर प्रसाद जुयाल की अचानक तबीयत खराब हो गई। ग्रामीणों ने तीन घंटें की कड़ी मशक्कत के बाद पिनस (डोली) के माध्यम से उन्हें मुख्य मार्ग घेरुवा तक पहुंचाया। अस्पताल पहुंचने तक पिनस (डोली) में बैठे दिगंबर प्रसाद जुयाल की सांसें अटकी रही। जबकि, ग्रामीण पूर्व में कई बार सरकार से गांव को सड़क सुविधा देने की मांग उठा चुके हैं।
आजादी के दशकों बाद भी सड़क की बाट जोह रहे जयहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत मलाणा के ग्रामीणों का इंतजार फिलहाल खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। शासन से सड़क स्वीकृत होने के बाद अब सड़क वन कानूनों के पेच में फंस गई है। इसके चलते ग्रामीण सतपुली-घेरुवा मोटर मार्ग पर घेरुवा बस स्टैंड से चार किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़ने को मजबूर हैं। गांव में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य व शिक्षा की व्यवस्था तक नहीं है। सड़क सुविधा के अभाव में गांव से लगातार पलायन भी जारी है। ग्रामीण राहुल जुयाल ने बताया कि सोमवार सुबह अचानक उनके चाचा दिगंबर प्रयास जुयाल का स्वास्थ्य खराब हो गया था। ग्रामीणों की मदद से चाचा को पिनस (डोली) के माध्यम चार किलोमीटर नीचे उतरकर मुख्य मार्ग घेरुवा में पहुंचाया गया। मुख्य मार्ग तक पहुंचने में उन्हें करीब तीन घंटे तक का समय लग गया। इस दौरान ग्रामीणों की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही थी। करीब छह सात घंटे के बाद जब ग्रामीण हंस फाउंडेशन के सतपुली अस्पताल पहुंचे तो स्थिति सामान्य हुई। अब दिगंबर प्रसाद जुयाल का स्वास्थ्य बेहतर है। बताया कि गांव को सड़क से जोड़ने के लिए ग्रामीण पिछले कई दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन, सरकारी सिस्टम समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। वर्तमान में सड़क का मामला वन कानून के पेच में फंसा हुआ है। सड़क के अभाव में ग्रामीण स्वयं को प्रदेश से कटा हुआ महसूस कर रहे हैं।

भारी पड़ रही जिंदगी
सड़क के अभाव में ग्रामीणों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। पूर्व में उपचार के अभाव में एक वर्ष के भीतर दो व्यक्तियों की भी मौत हो चुकी है। सिर दर्द की एक दवा खरीदने के लिए भी ग्रामीणों को गांव की चढ़ाई चढ़नी व उतरनी पड़ती है। ऐसे में कैंसे ग्रामीणों को बेहतर सुविधाओं का लाभ मिलेगा यह बड़ा सवाल है।

दुधारखाल में भी नहीं मिला उपचार
प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करनी वाली सरकार की पोल उस समय खुल गई जब ग्रामीण दिगंबर प्रसाद जुयाल को लेकर दुधारखाल पहुंचे और वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मी ने उपचार उपलब्ध नहीं होने की बात कहकर उन्हें सतपुली जाने की सलाह दी। मजबूरन ग्रामीणों को वाहन बुक कर सतपुली हंस अस्पताल जाना पड़ा। जिसके बाद दिगंबर प्रसाद जुयाल को उपचार उपलब्ध हुआ। वहीं, दुधारखाल के इस सरकारी अस्पताल के भरोसे क्षेत्र के करीब सौ से अधिक ग्राम सभाएं है। वहीं, अस्पताल में पिछले कई वर्षों से चिकित्सक की भी तैनाती नहीं हुई है।

गांव नहीं आते मेहमान
ग्राम मलाणा में सड़क सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीण खुद को दुनिया से कटा हुआ महसूस करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने के कारण गांव में नाते रिश्तेदार आने से भी कतराते हैं। गांव तक सड़क न होने के कारण शादी या अन्य शुभ कार्य उन्हें सतपुली या कोटद्वार में बरातघर बुक कर करवाने पड़ते हैं।

झूठा निकला आश्वासन
ग्राम मलाणा चौबट्टाखा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वर्ष 2012 में इस सीट से गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत विधायक थे। लेकिन, वर्तमान में यह सीट लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज के पास है। चुनाव के दौरान नेता गांव आकर जल्द गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का आश्वासन देते हैं। लेकिन, चुनाव जीतने के बाद ग्रामीणों की सुध तक नहीं ली जाती। जबकि, इस सीट से विधायक रहे तीरथ सिंह रावत को प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान भी मिली थी। इस दौरान ग्रामीणों ने उनसे मिलकर गांव को सड़क से जोड़ने की गुहार लगाई।

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