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जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकियों का ये घातक प्लान, बिना ट्रेनिंग इस हथियार से कर रहे हैं टारगेट किलिंग

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नई दिल्ली, एजेंसी। जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग को लेकर विदेशी आतंकियों के घातक प्लान का पता चला है। जिस तरह से सीमा पर पाकिस्तानी आईएसआई भारतीय सुरक्षा बलों पर हमला कराने के लिए बैट (बर्डर एक्शन टीम) को अपने साथ रखती है, कुछ इसी तरह से घाटी में टारगेट किलिंग कराने के लिए विदेशी आतंकी समूहों ने अब गुमराह हो चुके स्थानीय व्यक्तियों को भाड़े पर लिया है। उन्हें किसी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। इन्हें केवल एक पिस्टल मुहैया करा दी जाती है। उसके बाद टारगेट वाले व्यक्ति का पता बताया जाता है। अगर टारगेट पूरा हो जाता है तो इस एवज में उन्हें भाड़ा दे देते हैं। आतंकी अपरेशन में शामिल जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने यह खुलासा किया है। हालांकि उन्होंने कहा, पिस्टल से होने वाली टारगेट किलिंग के हर मामले की गहराई से जांच हो रही है। इसके पीटे जिस किसी आतंकी समूह का हाथ है, उसे बहुत जल्द खत्म कर दिया जाएगा। पिस्टल से निशाना लगाने के बाद आतंकियों की श्बी टीमश् जहां पर छिपती है, उसका पता लगा लिया गया है।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, यह बात सही है कि गत वर्ष से घाटी में पिस्टल से टारगेट किलिंग के मामले बढ़े हैं। इसमें सामान्य लोगों के अलावा पुलिस कर्मी भी शामिल हैं। टारगेट किलिंग की एक वजह है। सीमा पार के ट्रेनिंग र्केपों में लगभग दो सौ आतंकी मौजूद हैं। उन्हें घुसपैठ का मौका नहीं मिल रहा। सर्तक भारतीय सेना और अर्धसैनिक बल, उन्हें बर्डर से ही खदेड़ देते हैं। कई बार वे सुरक्षा बलों की गोली का शिकार बन जाते हैं। इसके चलते घाटी में आतंकियों की संख्या रोजाना कम होती जा रही है। अगर मई की बात करें तो अभी तक सबसे ज्यादा आतंकी इन्हीं 31 दिनों में मारे गए हैं। कश्मीर घाटी में 31 दिन में 15 मुठभेड़ हुईं, जिनमें 27 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया गया।
पिछले माह जम्मू कश्मीर-पुलिस ने भारी संख्या में पिस्टल बरामद की थी। इस साल अभी तक 134 पिस्टल बरामद की हैं, जबकि गत वर्ष 167 पिस्टल बरामद की गई थी। इस संख्या से पिस्टल किलिंग पर आतंकियों का रणनीति का पता चलता है। सीमा पार से आने वाले आतंकी ट्रेंड होते हैं। वे काफी देर तक चलने वाली मुठभेड़ में मारे जाते हैं। मई में जितने आतंकी मारे गए हैं, उनमें चार घुसपैठिये भी शामिल हैं। इसके अलावा पांच सिविलियन और तीन पुलिसकर्मी भी आतंकियों का निशाना बने हैं। आर्मी का एक पोर्टर भी मारा गया।
इस साल अप्रैल में 24 आतंकी मारे गए थे। इससे पहले जनवरी में 20 आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया। फरवरी में 7 और मार्च में 13 आतंकी मारे गए थे। मारे गए 27 आतंकियों में 17 लोकल थे और 10 पाकिस्तानी थे। आईएसआई और आतंकी संगठन यह जान रहे हैं कि अब उनके सामने नई भर्ती का संकट आ खड़ा हुआ है। एक तरफ सीमा पार से नए आतंकी नहीं आ पा रहे और दूसरी ओर सुरक्षा बल एक ही माह में 27 आतंकियों को ढेर कर रहे हैं। घाटी में इस वक्त करीब डेढ़ सौ लोकल एवं विदेशी आतंकी मौजूद हैं। सुरक्षा बल, जल्द ही उनके ठिकाने तक पहुंच जाएंगे।
आतंकियों की श्बी टीमश् को पिस्टल मुहैया कराकर टारगेट दे दिया जाता है। खास बात है कि सभी टारगेट राह चलते इलाकों में दिए गए हैं। यानी आतंकी, अपनी बी टीम को सुनसान जगह का टारगेट देने से बच रहे हैं। इसके पीटे उनका मकसद है कि आम लोगों में ज्यादा से ज्यादा दहशत फैलाई जाए। भीड़ वाले इलाके में टारगेट पूरा करने के बाद यह बी टीम आसानी से छिप जाती है। गोली चलाने के बाद ये लोग ज्यादा दूर नहीं जाते। पुलिस अधिकारी के अनुसार, ये लोग सार्वजनिक वाहन में सफर करने से बचते हैं। अगर इन्हें दूसरी जगह पर जाने का आदेश मिलता है तो ये ट्रक की मदद लेते हैं।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, पांच महीनों में 13 कश्मीरी पंडितों की हत्या हो गई है। 18 नागरिकों की जान गई है। 15 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं। ऐसे में 24 घंटे में सामूहिक पलायन की मजबूरी आ गई है। भाजपा सरकार में फिर से कश्मीरी पंडितों की जिंद्गी खघ्तरे में है। भाजपा, कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में फेल क्यों हो रही है। साल 1990 में वहां भाजपा के समर्थन की सरकार थी। भाजपा नेता ही राज्यपाल थे। नतीजा, कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन शुरू हुआ। आज भी वहां भाजपा की सरकार है। राज्यपाल हैं, पूरी मशीनरी है, नतीजा कश्मीरी पंडितों की हत्या और सामूहिक पलायन का संकट आ गया है।

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