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पाकिस्तान के इस नौ नाम वाले आतंकी ‘हबीबुल्लाह’ ने जम्मू-कश्मीर में रची थी सुरक्षा बलों पर हमले की साजिश

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नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों पर अपना शिकंजा कस दिया है। एनआईए ने मंगलवार को प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ (एलईटी) की एक शाखा से जुड़े तीन लोगों के खिलाफ, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हमले करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। एनआईए की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तानी नागरिक हबीबुल्लाह मलिक, जिसके 9 नाम हैं, उसने जम्मू कश्मीर के स्थानीय युवाओं की मदद से अपनी साजिश को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। हबीबुल्लाह को साजिद जट्ट, सैफुल्लाह, नूमी, नुमान, लैंगडा, अली साजिद, उस्मान हबीब और शनि आदि नामों से पहचाना जाता है। वह पाकिस्तान के कसूर जिले (पंजाब) का रहने वाला है। जम्मू और कश्मीर के पुंछ व राजौरी जिले में हुए विभिन्न आतंकवादी हमलों में हबीबुल्लाह का हाथ बताया जाता है।
जम्मू स्थित एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष दायर की गई सप्लीमेंटरी चार्जशीट के मुताबिक, कश्मीर के शोपियां के रहने वाले हिलाल याकूब देवा उर्फ सेठी सोआब और मुसिआब फैयाज बाबा उर्फ शोएब उर्फ जरार को हबीबुल्ला ने अपना सहयोगी बनाया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 21 जून 2022 को स्वत: संज्ञान लेते हुए ‘आरसी-05/2022/एनआईए/जेएमयू’ मामला दर्ज किया था। हबीबुल्लाह मलिक, पाकिस्तान स्थित द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का एक सक्रिय कमांडर था। टीआरएफ, पाकिस्तान के आतंकी संगठन, ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की एक शाखा है। जम्मू-कश्मीर में भय और आतंक फैलाने एवं शांति को बाधित करने के लिए विभिन्न प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा साजिश रची जा रही है। इसके लिए आतंकी संगठनों ने साइबरस्पेस का इस्तेमाल किया है। उक्त आतंकियों ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों और अन्य लोगों पर आतंकवादी हमले करने की आपराधिक साजिश रची थी। हबीबुल्लाह, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कमजोर कश्मीरी युवाओं को टीआरएफ/एलईटी में शामिल होने के लिए प्रेरित करने में लगा हुआ था।
एनआईए की जांच के अनुसार, हबीबुल्लाह ने अन्य दोनों आरोपियों हिलाल और मुसिआब को कट्टरपंथी बना दिया था। दोनों स्थानीय आरोपी, हबीबुल्लाह के ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के तौर पर काम करने लगे थे। नूमी के निर्देश पर, दोनों ओडब्ल्यूजी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाई। आतंकियों को विभिन्न तरह की सुविधाएं मुहैया कराने का काम भी यही दोनों आरोपी करते थे। ओजीडब्ल्यू के माध्यम से आतंकियों को धन और हथियार पहुंचाए गए थे।
जांच में पता चला कि ये दोनों आरोपी, भूमिगत कार्यकर्ताओं को संगठित कर, घाटी में आतंक और हिंसा के कृत्यों को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ रहे थे। ये तीनों आतंकी, पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की बड़ी योजनाओं का हिस्सा थे। जम्मू-कश्मीर में अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इन लोगों ने नए संगठन तैयार करने की योजना बनाई। एनआईए की जांच के दायरे में द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू एंड कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिदीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू एंड कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ), कश्मीर टाइगर्स, पीएएएफ और अन्य कई संगठन हैं। ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), अल-बद्र, अल-कायदा आदि से संबद्ध हैं। आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।

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