उत्तराखंड

बैंक में बंधक भूमि बेचने के तीन आरोपी साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त

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काशीपुर। बैंक में बंधक भूमि धोखाधड़ी से बेचने के तीन आरोपियों को द्वितीय एसीजेध् न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। सुनवाई के दौरान दो अन्य आरोपियों की मृत्यु हो गई थी। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक जीएस कुश्वाहा ने 11 अक्तूबर, 2004 को काशीपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 06 मई 1989 को मुखेजा रबर्स ने एसबीआई से टर्म लोन लिया था।ाण की अदायगी के लिए ग्राम सरवरखेड़ा निवासी मोहम्मद उमर पुत्र सुवराती, बहादुर अली, रियाज अली पुत्रगण झब्बे, शखावत पुत्र अहमद हसन और अब्दुल सलाम पुत्र नन्हें ने अपनी-अपनी भूमि बतौर गारंटर बैंक के पास बंधक रखी थी। कंपनी के बोर्ड अफ डायरेक्टर के प्रस्ताव पर 20 जून 1991 को कर्ज की लिमिट बढ़ाकर भूमि के अधिकार पत्र बैंक के पास रखकर बंधक रखे गए। तहरीर पर पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ धारा 420 के तहत केस दर्ज किया। केस की विवेचना के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ चार जून 2005 को आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। कंपनी के डायरेक्टर्स और जमानतियों के विरूद्घ वसूली वाद डैब्ट रिकबरी ट्रिव्युनल, देहरादून में भी लंबिज है। केस की सुनवाई के दौरान दो आरोपियों बहादुर अली और सखावत हुसैन की मौत हो गई। अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ केस पर विचारण हुआ। बचाव पक्ष की ओर से अजय कुमार अरोरा एड ने पैरवी की। संबंधित पक्षों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर द्वितीय एसीजेध्न्यायिक मजिस्ट्रेट चेतन सिंह गौतम ने तीनों आरोपियों को साक्ष्यों के आधार पर दोषमुक्त कर दिया।

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