उत्तराखंड

देश और दुनिया में छाए रुद्रप्रयाग जिले के तीन युवा

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रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले के युवाओं की एक टीम ने पहाड़ से लंबा सफर तय किया और आज अपने हुनर से देश दुनिया में छा गए हैं। युवाओं की इस सफलता पर जनपद में खुशी की लहर है। सभी लोग युवाओं की इस सफलता की प्रशंसा कर रहे है।
39वें बुसान इन्टरनेशनल शर्ट फिल्म फेस्टिवल (कोरिया) में दुनिया के 111 देशों से आई 2,548 फिल्मों में से वल्र्ड प्रीमियर के लिए चुने जाने वाली 40 फिल्मों में से 14 वें स्थान पर चुनी गई उत्तराखंड की पहली फिल्म ‘पातल ती को बनाने वाले टीम के प्रमुख सूत्रधार रुद्रप्रयाग जिले के तीन युवा हैं। फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष रावत क्यूड़ी दशज्यूला, सिनोमेटोग्राफर बिट्टू रावत चोपता जाखणी, एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेन्द्र रौतेला और उनके बेटे कैमरामेन दिव्यांशु रौतेला कोयलपुर (डांगी गुनाऊं) के निवासी हैं। इन दिनों देश दुनिया की सुर्खियों में छाए रुद्रप्रयाग जिले के ये युवा अपनी प्रतिभा की चमक को अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के फलक पर बिखेर रहे हैं। इनमें कैमरामेन दिव्यांशु रौतेला सबसे युवा हैं और छोटी उम्र में ही उन्होंने कैमरे के पीटे रहकर अपनी प्रतिभा को अन्तर्राष्ट्रीय फलक तक पहुंचा दिया है।
बुसान इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, अस्कर के लिए गेटवे माना जाता है। स्टूडियो यूके 13 की टीम द्वारा ‘भोटिया भाषा की लोक कथा में बनाई गई शार्ट फिल्म ‘पताल ती (होली वाटर) का इसमें शामिल होना समस्त उत्तराखंड वासियों के लिए गर्व का क्षण है। यह फिल्म उत्तराखंड और खासकर भोटिया जनजाति को एक नये नजरिए से देश दुनिया के सामने लाई है। फिल्म के एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर और रुद्रप्रयाग जिले के रचनाधर्मी शिक्षक गजेन्द्र रौतेला बताते हैं कि फिल्म की कथा पहाड़ के ‘जीवन दर्शन को दर्शाती है। अपने अंतिम समय पर दादा द्वारा पोते से कुछ ख्वाहिश रखना और पोते द्वारा उसे पूरा करने की कोशिश और प्रति के साथ सहजीवन और संघर्ष इसे और भी मानवीय और संवेदनशील बना देता है। यही वह खास बात है कि जो भाषा और देश की सीमाओं को तोड़कर हमारी संवेदनाओं को झंकझोरती है। पूरी फिल्म में कैमरे का कमाल, प्रातिक रोशनी, लैण्ड स्केप और कलाकारों की बिना संवाद के अदाकारी इसे अद्भुत बना देती है। फिल्म के निर्देशक संतोष रावत कहते हैं कि यह एक साधारण पहाड़ की असाधारण कहानी है। ये सामूहिक जरूरतों, विपदाओं, अनदेखी बातों और कमजोरियों की कहानी भी है।

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