यूकेडी ने कहा गैरसैंण ग्रीष्मकालीन नहीं पूर्ण राजधानी बनाए सरकार
राज्यपाल से सरकार को पुर्न विचार करने के लिए आदेशित करने की मांग
कोटद्वार। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाएं जाने का विरोध किया। यूकेडी ने प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर प्रदेश सरकार को पुर्न विचार करने के लिए आदेशित करने की मांग की है। यूकेडी कार्यकर्ताओं ने कहा कि गैरसैंण को पूर्णकालिक राजधानी से कम कुछ नहीं स्वीकार होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसा संसाधन विहीन राज्य दो-दो राजधानी का बोझ नहीं उठा सकती है।
उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में यूकेडी के प्रभारी जनपद पौड़ी गढ़वाल महेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड क्रांति दल द्वारा आंदोलन के दौरान 1992 में ब्लू प्रिंट जारी कर उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी गैरसैंण को चन्द्रनगर नाम से घोषित कर दिया था। जिसके बाद आंदोलनकारियों द्वारा पृथक राज्य के लिए एकजु होकर संघर्ष किया। राज्य बनने के बीस वर्षों बाद भी राष्ट्रीय पार्टी के नेतृत्व द्वारा स्थाई राजधानी नहीं बनायी गयी। वर्तमान सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गई है, जो पृथक राज्य उत्तराखण्ड के हितों पर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण 2015 से लंबित है, 25 वर्षों से पृथक राज्य की मांग को लेकर 1994द में मुज्जफरनगर कांड समेत 13 मुकदमें उत्तर प्रेदश के विभिन्न न्यायालयों में लंबित है, इन मुकमदों पर सरकार द्वारा कोई ठोस पैरवी नहीं की गई। राज्य बनन के बीस साल बाद भी उत्तराखण्ड के शहीदों का न्याय नहीं मिल पाया है। ज्ञापन देने वालों में पंकज भट्ट, गुलाब सिंह, अशोक कंडारी, अखिलेश बड़थ्वाल, भूपाल सिंह रावत, यतेन्द्र भट्ट, सुरेन्द्र भाटिया, विनोद कुमार, रेवत सिंह, किशोरीलाल, पंकज उनियाल, जगदीश मेहरा, चन्द्र सिंह रावत, दिनेश सती, राम सिंह सैनी, विजयपाल सिंह, हरीश बहुखण्डी, दलवीर्र ंसह, राजेन्द्र सिंह आदि शामिल थे। (फोटो संलग्न है)