मूल निवासियों का हक न मारे उत्तराखंड सरकार

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ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानियों ने उत्तराखंड सरकार से क्षेत्रफल के आधार पर राज्य का परिसीमन करवाने की मांग की है। कहा कि विषम भौगोलिक स्थिति के चलते यह जरूरी है। चेताया कि भू-कानून,मूल निवास हक के लिये जन आंदोलन करने से वह पीछे नहीं हटेंगे। गुरुवार को उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानियों ने नगर निगम परिसर ऋषिकेश के स्व. इंद्रमणि बडोनी हाल में बैठक की। उन्होंने क्षेत्रफल के आधार पर परिसीमन करने की मांग दोहराई। कहा कि आगामी 2026 में होने वाला परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर होना चाहिए। ऐसा न होने पर वह आंदोलन के लिये बाध्य होंगे। आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति अन्य राज्यों से अलग है। राज्य की सीमाएं चीन से लगी हैं। चिंता जताई कि पर्वतीय राज्य में रोजगार के अवसर न बन पाने के कारण उत्तराखंड से पलायन के बाद बाहरी लोगों का आना तेज हुआ है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में जमीनें खरीदी और बेची जा रही हैं। सख्त भू-कानून न होने के कारण कोई भी कितनी जमीन खरीद रहा है। सरकार को इस मुद्दे गंभीरता दिखानी चाहिए थी। आंदोलनकारियों ने राज्य में सख्त भूकानून बनाने की मांग की। इस अवसर पर युद्धवीर सिंह चौहान, डीएस गुसाईं, गंभीर सिंह मेवाड़, विक्रम भंडारी, बेताल सिंह धनाई, गुलाब सिंह रावत, बृजेश डोभाल, विशंभर दत्त डोभाल, प्रवेश सकलानी, धर्म सिंह रावत, हरि सिंह नेगी, राजेंद्र कोठारी, रामेश्वरी चौहान, कुसुमलता शर्मा, शकुंतला नेगी, सुशीला पोखरियाल, उर्मिला डबराल, जयंती नेगी, प्रेम नेगी, चैता कंडवाल, रोशनी खारोला, मुन्नी ध्यानी, पुणे राणा, जय डोभाल, अंजू गैरोला, शोभा, रेखा धस्माना, भगवती चमोल आदि मौजूद रहे।

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