कोटद्वार-पौड़ी

उत्तराखंड के 80000 कार्मिकों के साथ किये गये अन्याय का प्रतीक है 1 अक्टूबर, मनाऐंगे काला दिवस 

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा से जुड़े कर्मचारी आगामी 1 अक्टूबर को काला दिवस मनायेगें। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा है कि 1 अक्टूबर का दिन राज्य के 80000 एनपीएस कर्मचारियों के साथ किये गए अन्याय का विरोध है। इसीलिए इन दिन को काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि कर्मचारी सरकार के साथ प्रत्येक निर्णय पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष वह देश के विकास में योगदान करते हुए बिताता है। देश को आयकर से लेकर आपदा में प्रत्येक स्थिति में समर्थन देता है। परन्तु उसकी सेवानिवृत्ति के बाद आज कर्मचारी भीख मांगने को मजबूर है। प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भरता का नारा दिया, परन्तु बुढापे में जब हाथ पैर किसी काम के न हो और जेब खाली हो तो किस प्रकार आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को पूर्ण किया जाय। इसलिए सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देकर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना चाहिए।
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर 2005 को पुरानी पेंशन योजना को बंद किये जाने के कारण इस दिन को कर्मचारियों द्वारा काला दिवस के रूप में मनाया जायेगा। देश के 66 लाख कर्मचारियों में से राज्य के 80000 कर्मचारी एनपीएस के दंश को झेल रहे हैं। पूरे देश में कर्मचारियों द्वारा एनपीएस योजना का विरोध हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल बड़ोनी व प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल के नेतृत्व में एनपीएस कर्मचारियों की मांग को राज्य सरकार ने सुनकर केंद्र को पत्र लिखा है। यह काबिल ए तारीफ है कि राज्य के कैबिनेट मंत्रियों को इस बाबत अवगत कराने पर उन्होंने सकारात्मक कदम उठाते हुए सरकार को इस बाबत पत्र लिखा है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि देश में कोरोना की महामारी से कई कर्मचारी अपनी जान गंवा रहे हैं और सरकार के पास उसके आंकड़े तक नहीं है। ये गंभीर विषय है। देश में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र में मिलाकर 4 करोड़ से ज्यादा एनपीएस कार्मिक हैं, जिनमे से मात्र 66 लाख ही सार्वजनिक क्षेत्र से है। ये मांग मात्र सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की है जिसमें कर्मचारी, शिक्षक, रेलवे, पैरामिलिट्री के सेवक शामिल हैं। जिनका 4 से 6 लाख करोड़ रुपया शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। जिसमें सेवानिवृत्त होने के बाद 1000 रुपये से भी कम मासिक पेंशन प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि शेयर मार्केट का पैसा सरकार देश के आर्थिक विकास में उपयोग कर कार्मिकों को ससम्मान जीवन का हक देकर पुरानी पेंशन योजना लागू की जानी चाहिए। प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि कर्मचारी कोरोना काल में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर संकटकाल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। इस निर्वहन के दौरान राजकीय कार्मिक महामारी की चपेट में आ रहे है। कोरोना से कई कर्मचारियों की मौत अब तक हो चुकी है। इस स्थिति में उनके परिवार के पास पारिवारिक पेंशन तक प्राप्त नहीं है। ऐसे संकट काल में कर्मचारियों में अपनी सुरक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर रोष है। पुरानी पेंशन होने से कर्मचारी के जीवन में एक सुरक्षित भविष्य के लिए संकटों से लड़ने के लिए ढाल थी, लेकिन आज कर्मचारी भविष्य में आने वाले संकट से लड़ने के लिए निहत्था है।
कर्मचारी 1 अक्टूबर को मनाएंगे काला दिवस
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि प्रदेश कोर कमेटी की ऑनलाइन बैठक में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में 1 अक्टूबर को काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रत्येक कर्मचारी व्यक्तिगत स्तर पर बल देने का प्रयास करेगा। 1 अक्टूबर 2005 के दिन ही राज्य के कर्मचारियों को सरकार ने पुरानी पेंशन की सुविधा से वंचित कर दिया था। इसी के विरोध में कार्मिकों ने इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी काली पट्टी या काला मास्क पहनकर विरोध जतायेगें, अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर काली तस्वीर लगायेगें, रात 8 से 9 बजे तक अपने घरों पर लाइट ऑफ रखेंगे। बैठक में देवेंद्र बिष्ट, प्रवीण भट्ट, योगिता पंत, कपिल पांडे, जयदीप रावत, नरेश भट्ट, सौरभ नौटियाल, कमलेश मिश्रा, राजेन्द्र शर्मा, सुबोध कांडपाल आदि उपस्थित रहे।

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