उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को संजोने में जीवन खपा देने वाला मुफलिसी में जी रहे लोक कलाकार प्रकाश गढ़वाली को दरकार है इलाज की
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बीस साल बाद भी उसकी सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने वाले लोक कलाकारों की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई ठोस नीति न पाने के कारण उत्तराखण्डी संस्कृति और परम्पराओं को जीवित रखने वाले ऐसे लोग आपदा के समय इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे है। ऐसे ही कलाकारों में रामरतन काला जहां मुफलिसी में दम तोड़ बैठे है, वहीं गढ़वाली गीतों, नाटकों के माध्यम से उत्तराखण्ड संस्कृति को समर्पित कलाकार प्रकाश गढ़वाली अपने आर्थिक मुफलिसी में बेहतर इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहे है। वर्तमान में प्रकाश गढ़वाली कोटद्वार बेस हॉस्पिटल से हायर सेंटर रैफर होने के बाद हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती है।
प्रकाश गढ़वाली को अस्वस्थता होने पर कोटद्वार बेस चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां पर क्षेत्रीय विधायक एवं जिला पौड़ी गढ़वाल कोविड प्रभारी मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने उनका हालचाल जानकर बेहतर इलाज देने की बात कही। जिस पर दो दिन बाद प्रकाश गढ़वाली को कोटद्वार बेस चिकित्सालय द्वारा हायर सेंटर रैफर कर दिया गया।
प्रकाश गढ़वाली की पत्नी शकुंतला गढ़वाली का कहना है कि उन्होंने अपना ज्यादा समय उत्तराखंड की संस्कृति के संवर्धन में लगा दिया, इसलिए घर की आर्थिकी स्थिति दयनीय है। अब कोई पैतृक संपत्ति भी नहीं है जिसे बेचकर उनका इलाज कराया जा सके। उन्होंने बेबसी जताते हुए कहा कि अभी तक न तो प्रशासन से कोई मदद मिली और न ही कोई सामाजिक संगठन ही मदद के लिए सामने आया है। प्रकाश गढ़वाली उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार के रहने वाले उत्तराखण्ड संस्कृति के सुप्रसिद्ध लोक कलाकार है। उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए काम किया है। उन्होंने श्रीदेव सुमन, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, कण्वाश्रम की महिमा, माधो सिंह भंडारी, तीलू रौतेली, जीतू बग्डवाल, रामी बौराणी, बावन गंदूकी, धरती आदि ऐतिहासिक गीत एवं नाटिकाओं का मंचन किया है। साथ ही देवी दंव्यनों की स्वाणी धरती, बड़ी आस करी अदो हे बाबा, बेटी बचावा बेटी पढ़ावा समेत कई अन्य सुप्रसिद्ध गीत, लेख एवं कविताएं लिखी। इसके साथ ही आप उत्तराखंड के जाने माने गीतकार व संगीतकार है। कई राज्यों ने आपको पुरस्कृत भी किया है
लोक कलाकारों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बड़े-बड़े वादे किये जाते हैं। सरकार द्वारा इसके लिए एक मोटी रकम खर्च की जाती है। पर बात जब संस्कृति की रक्षा करने वाले लोगों के सुध लेने की आती है तो शासन-प्रशासन दोनों ही मूकदर्शक बन जाता है। बदले में उत्तराखंड की संस्कृति के लिए पूरा जीवन लगा देने वाले लोगों को बदले में मिलती है दर-दर की ठोकरें। कुछ ऐसी है कहानी उत्तराखंड के लोक कलाकार प्रकाश मोहन गढ़वाली की है। जो आज शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण अस्पताल के बिस्तर पर लाचार नजरों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
लोक कलाकार दयाशंकर फुलारा का कहना है कि प्रकाश गढ़वाली की आर्थिक स्थिति बिल्कुल ही नाजुक है। एक कलाकार होने के नाते हम सभी कलाकार इनके लिए चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकते और करेंगे भी कैसे क्योंकि वर्तमान में विगत एक डेढ़ वर्षों से कोरोना काल में प्रत्येक छोटा और बड़ा कलाकार खुद ही मुफलिसी में जीवन व्यतीत कर रहा है, ऐसे में एकमात्र हमारे उत्तराखंड का शासन-प्रशासन एवं सक्षम संगठन ही प्रकाश गढ़वाली की आर्थिक मदद कर सकते हैं। उन्होंने उत्तराखंड के संस्कृति विभाग एवं मुख्यमंत्री से उत्तराखंड की संस्कृति के संवर्धन के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर करने वाले प्रकाश गढ़वाली की ऐसी स्थिति में मदद करने की मांग की है। हम सभी लोक कलाकार उत्तराखंड सरकार के ताउम्र ऋणी रहेंगे।