उत्तराखंड हाईकोर्ट से तीरथ को बड़ा झटका कुंभ में कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी
नैनीताल। हाईकोर्ट ने क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्था तथा महाकुंभ के इंतजामों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बुधवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट, हरिद्वार की जिला विकास प्राधिकरण सचिव शिवानी पसबोला और मेलाधिकारी दीपक रावत की ओर से कुम्भ व्यवस्थाओं को लेकर निरीक्षण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। निरीक्षण रिपोर्टो का अवलोकन करने के पश्यचात कोर्ट ने राज्य सरकार व मेलाधिकारी को निर्देश दिए है कि कुम्भ मेले के दौरान श्रद्घालुओं को अपनी कोविड की नगेटिव रिपोर्ट लाना आवश्यक है, जिन लोगो को कोविड की दो बार वेक्सीन लग चुकी है, वह अपना वेक्सीन का सर्टिफिकेट साथ मे लगाएंगे और राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा जारी एसओपी का पूर्ण रूप से पालन करेंगे।
सीएम द्वारा पूर्व में जारी उक्त के सम्बंध में आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने एम्स के डक्टरों द्वारा दिये गए सुझावों पर भी विचार करने को कहा है। एम्स के डक्टरों ने कमेटी को सुझाव दिए थे कि प्रत्येक दस बैड पर एक डक्टर व स्टाफ की नियुक्ति की जाय, प्रत्येक हस्पिटल में सुविधायुक्त पाँच एम्बुलेंस होने चाहिए तथा एयर एंबुलेंस की भी व्यवस्था होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि मेलाधिकारी ने हरकीपैडी व मेला क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है परंतु जहां पर महिलाएं स्नान कर रही है, उनके वाशरूम अच्छी स्थिति में नही है, उनमे सुविधाओ का अभाव है। कुछ लोग स्नान कर रही महिलाओं की वीडियो भी बना रहे, जो उनकी गरिमा के खिलाफ है ,इसलिए मेला क्षेत्र में एक महिला अधिकारी की नियुक्ति की जाय जो वहाँ पर जाकर निरीक्षण करे। आईजी संजय गुंजियाल से अनुरोध किया है कि इन स्थानों पर वर्दी व बिना वर्दी के महिला पुलिस कर्मी नियुक्त किये जाय। याचिकाकर्ता ने अपनी रिपोर्ट मे यह भी तथ्य उठाया गया किाषिकेश, तपोवन मुनिकीरेती के घाटों की हालात जर्जर है। सरकार ने इनको सुधारने के लिए कोई व्यवस्था नही की है । इसपर कोर्ट ने मुख्य सचिव व वित्त सचिव से इस पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने मेलाधिकारी, चीफ सैकेट्री, वित्त सचिव व आईजी संजय गुंज्याल को निर्देश दिए है कि वे मेला क्षेत्र का अधिवक्ता के साथ निरीक्षण करेंगे और 30 मार्च तक मेलाधिकरी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे ।
31 मार्च को मेला अधिकारी, चीफ सैकेट्री,वित्त सचिव और आईजी कोर्ट में वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होंगे।मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी।
पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटी गठित की थी।