धार्मिक स्थलों पर अपने आराध्य के दर्शन करने को लेकर हिंदू धर्म में एक गलत परंपरा चलती आ रही है जो आम श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से ही परेशानी का कारण बनी है। हमारे देश के विभिन्न मंदिरों में जहां एक तरफ आम व्यक्ति लंबी-लंबी कतारों में धक्के खाकर अपने इष्ट देवों के दर्शन करता है वहीं अति विशिष्ट व्यक्तियों के लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा ऐसे प्रबंध किए जाते हैं जिसके कारण अक्सर हिंदू धर्म की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े होते हैं। उत्तराखंड के चार धाम भी इस गलत परंपरा से बचे हुए नहीं है लेकिन अब बद्रीनाथ में स्थानीय लोगों ने इस परंपरा को बदलने का बीड़ा उठाया और इसका परिणाम भी तुरंत देखने को मिला। बद्रीनाथ धाम खोलने के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी है तो वही अपने पद और सामाजिक रुतबे का प्रभाव दिखाकर बिना कतारों में लगे वीआईपी दर्शन करने वाले भी सक्रिय हो गए हैं। आम श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोगों को भी वीआईपी दर्शनों का यह चलन अब खटकने लगा है, लिहाजा बदरीनाथ धाम में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद बीकेटीसी की ओर से शुरू की गई वीआईपी दर्शन व्यवस्था को समाप्त करना पड़ा है। हालांकि इसमें कुछ प्रावधान भी छोड़े गए हैं जिसके तहत वीआईपी दर्शनों का लाभ ऐसे लोगों को ही मिलेगा जो सरकार की ओर से जारी किए गए प्रोटोकॉल के अधीन आएंगे। मंदिर प्रबंधन समिति में स्थानीय लोगों के लिए मंदिर में आने-जाने की छूट को जारी रखा है। असल में उत्तराखंड की चारों धामों में ही वीआईपी दर्शनों के कारण काफी अफरातफरी की स्थिति होती थी, साथ ही सामान्य श्रद्धालु भी इस व्यवस्था को लेकर काफी नाराज नजर आते थे। लंबी कतारों के कारण प्रतीक्षा भी लंबी हो जाती थी। ऐसे हालातों के बाद लगातार वीआईपी दर्शनों को लेकर विरोध और असंतोष नजर आने लगा था। बद्रीनाथ धाम का पंडा समाज, तीर्थ पुरोहितों के साथ-साथ स्थानीय व्यापारी वीआईपी भी अब दर्शन समाप्त करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें स्थानीय महिलाओं के विरोध के बाद तो मंदिर समिति को वीआईपी दर्शनों की व्यवस्था को समाप्त करने का ऐलान करना पड़ा। वीआईपी दर्शनों की व्यवस्था बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा शुरू की गई थी जिसके कारण कतारों में लगे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियां होती थी, हालांकि इसके बदले मंदिर समिति को अच्छी खासी कमाई हो जाती थी लेकिन पनप रहे विरोध के बाद इस बात के संकेत मिलने लगे थे की वीआईपी दर्शनों का दौर जल्द समाप्त होने वाला है। वैसे भी देखा जाए तो हिंदू धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्म के धार्मिक स्थलों पर वीआईपी दर्शनों का प्रावधान ही नहीं है और सभी लोग एक समान दर्शन या फिर आराधना के लिए उपस्थित होते हैं। कहीं ना कहीं मंदिरों में वीआईपी दर्शनों की व्यवस्था के कारण आलोचक भी मुखर होते आए हैं जो ऐसी धार्मिक व्यवस्थाओं पर समानता को लेकर सवालिया निशान भी खड़े करते हैं।