बदले-बदले से केजरीवाल: अलका लांबा और कुमार विश्वास को नोटिस के क्या हैं मायने? संकट में पड़ सकती है भविष्य की राजनीति

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नई दिल्ली, एजेंसी। अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में उतरते हुए जनता से यह वादा किया था कि वे देश को एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था देंगे जो वर्तमान व्यवस्था से बिल्कुल अलग होगी। वह ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें जनता की आवाज सुनी जाएगी, जनप्रतिनिधियों को कोई विशेष सुविधा-छूट नहीं होगी, कोई पार्टी हाईकमान कल्चर नहीं होगा और जनता का हित सर्वोपरि होगा।
केजरीवाल के इसी वादे का कमाल था कि जनता ने उन पर बढ़-चढ़कर भरोसा किया और उन्हें प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली और फिर पंजाब की सत्ता सौंप दी। लोगों को उनसे कुछ अलग करने की उम्मीद थी। दिल्ली में एक बेहतर शिक्षा मडल, स्वास्थ्य सुविधाएं और मुफ्त बिजली-पानी देकर केजरीवाल उस वादे पर खरे उतरते हुए दिखाई भी पड़े। शायद उनकी इसी कोशिश का सकारात्मक परिणाम उन्हें पंजाब में मिला।
लेकिन जिस तरह से पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता अलका लांबा और कवि कुमार विश्वास को अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करने के मामले में नोटिस थमाया है, इस बात की चर्चा की जाने लगी है कि क्या अरविंद केजरीवाल भी राजनीति के उसी पुराने रंग में रंग गए हैं जिसकी वह हमेशा से आलोचना करते आए हैं? क्या इसी पंजाब मडल के भरोसे वे गुजरात-हिमाचल और बाकी पूरा देश जीतने की मंशा रखते हैं? उनकी इस राजनीति के क्या मायने हैं?
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा जनता की अदालत में ली जाती है। कोई भी राजनीतिक दल जो वादे करके सत्ता में आता है, बाद में उसको उन्हीं का हिसाब देना पड़ता है। जहां तक कल्याणकारी योजनाओं की बात है, केजरीवाल अपने उस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए दिखाई भी पड़ते हैं।
लेकिन केवल राजनीतिक टिप्पणियों के कारण भाजपा नेताओं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा, नवीन कुमार जिंदल सहित कई कांग्रेस नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई कर वे क्या संकेत देना चाहते हैं? इसका उन्हें लाभ होगा, या नुकसान होगा, क्योंकि वैकल्पिक व्यवस्था देने का उन

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