कोटद्वार-पौड़ी

शहर में कहां होना चाहिये टे्रचिंग ग्राउण्ड

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आओ कोटद्वार टे्रचिंग ग्राउण्ड का हाल जाने। किसी भी नगर का टे्रचिंग ग्राउण्ड नगर से कम से कम 5-7 किमी0 दूर होना चाहिए। मगर नगर निगम का टे्रचिंग ग्राउण्ड ठीक नगर का हृदय स्थल पर है। किसी भी नगर के टेचिंग ग्राउण्ड के कचरे के ऊपर वन्य जीवों का या आवारा पशुओं का आना जाना नही होना चाहिये। इसकी समुचित व्यवस्था होती है। मगर कोटद्वार के टे्रचिंग ग्राउण्ड के कचरे के ढेर पर सारे शहर के आवारा पशु चौबिसों घण्टे नजर आते हैं, और ढेर पर ही हर सप्ताह एक-दो जानवर मृत पाए जाते हैं। जो कचरे के अन्दर ही दबाए जाते हैं। जो आस-पास की हवा को दुर्गंधित कर लोगों का जीना दूसवार करता है। कचरे के ढेर से अवशिष्ट पदार्थो को लेकर कौवे आवासीय घरों के मुंढेरों पर छोड़ देते हैं। जो महामारी फैलने का सबसे खतरनाक स्रोत है।
किसी भी नगर का टेचिंग ग्राउण्ड ंस्कूल, अस्पतालों, खेल के मैदानो से दूर होना चाहिए। टे्रचिंग ग्राउण्ड ऐसी जगह पर हो जहां पर लोगों का आना जाना प्रतिबन्धित हो। ठीक इसके विपरीत कोटद्वार नगर निगम का ट्रेचिंग ग्राउण्ड कोटद्वार का एक मात्र अन्र्तराज्यीय स्टेडियम से सटा हुआ है। तथा मुक्तिआवास के मुख्य गेट पर है जंहा रोज हर वक्त लोगों का आना जाना रहता है। चाहे खेल के लिए या अन्त्येष्टी क्रिया कर्म के लिए या शनि मंदिर दर्शन के लिये।
किसी भी नगर का टे्रचिंग ग्राउण्ड नदी तट पर तो बिल्कुल न हो। मगर कोटद्वार नगर निगम का सारा कचरा खो नदी में बहता हुआ हरदम देखा जाता है। यह कचरा बहता हुआ रामगंगा से पवित्र गंगा में समा जाता है। पवित्र गंगा को भी दूषित करने में सबसे आगे है।
किसी भी कचरे के ढेर पर मक्खियाँ व जहरीले पतंगे रहती हैं, उनमे हरदम कीटनाशक दवा का छिड़काव होता है। मगर उक्त कचरे के ढेर पर ऐसा कभी नही हुआ। मक्खियाँ यहां से आवासीय घरों तक उड़कर जाती रहती हैं।
बरसात के दिनों में कचरे के ढेर को उलट-पलट नही होना चाहिए। नीचे का कचरा ऊपर होने से हवा में बदबू फैलकर शहर वासियों का जीना हराम कर देता है। लेकिन कोटद्वार नगर निगम की जेसीबी मशीन हर दूसरे दिन कचरे को उलट-पलट करती रहती है। जिससे मरे दबे सडे़ जानवर कचरे से वायु में जहरीली गैसें फैलाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियों को निमंत्रण देते हैं।
गर्मियों में इस कचरे के ढेर पर हरदम आग व धुअां लगा रहता है। नगर निगम स्वयं आग लगाता है ताकि कचरा कुछ कम हो सके पूछो तो कहता है असामाजिक तत्व आग लगाते हैं। जब उन्हे रोको तो सरकारी काम में बाधा का भय दिखाते हैं। जब इस बाबत कुछ माह पहले सूबेदार मेजर केशर सिंह बिष्ट ने नगर आयुक्त को बारिश के दिन कचरा न उलटने का अनुरोध किया तो उनका जवाब था बारिश के दिन दुर्गन्ध कम फैलती है। ये सुनकर अजीब लगा जबकि नम वायु में दुर्गन्ध अधिक फैलती है।
सूबेदार मेजर (रिटा.) केशर सिंह

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