कृषि कानूनों को वापस लेने का असर पड़ सकता है उत्तराखंड के विस चुनाव में
जयन्त प्रतिनिधि।
रुड़की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान का असर आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में भी साफ देखा जा सकता है। दरअसल, हरिद्वार जिले की करीब नौ विधानसभा सीटों को किसान सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। प्रदेश में इन्ही क्षेत्रों के किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में सबसे अधिक आवाज उठाई। ऐसे में इस फैसले को विस चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
बात करें हरिद्वार जिले की तो यहां 94 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है। यहां एक लाख 28 हजार किसान खेती करते हैं। जिले में मुख्य रूप से गन्ना, गेहूं, धान, सब्जियां और बागवानी की खेती होती है। 16 हजार खेतिहर मजदूर भी हैं, जो कि किसानों से जुड़े हुए हैं। विधानसभा के हिसाब से देखा जाए तो मंगलौर, झबरेड़ा, भगवानपुर, कलियर, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर, रानीपुर और हरिद्वार ग्रामीण में किसान वोट बैंक ठीक संख्या में है। इन विधानसभा क्षेत्रों में ही कृषि कानूनों को लेकर सबसे अधिक धरना-प्रदर्शन देखने को मिला है। मंगलौर और कलियर विधानसभा से जुड़े किसान तो दिल्ली के आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के तमाम बड़े पदाधिकारी भी इस बात को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे। वहीं, पिछले सप्ताह ज्वालापुर विधानसभा क्षेत्र के मानुबास में आयोजित किसान मेले के दौरान भी किसान मुख्यमंत्री से भी मांग कर रहे थे कि तीनों कृषि कानून को वापस लिया जाए। ऐसे में तीनों कृषि कानून वापस होने से भारतीय जनता पार्टी भी राहत महसूस कर रही है।
दरअसल, हरिद्वार जिले की राजनीति हमेशा ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रभावित रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगह भाजपा नेताओं का विरोध हुआ और उनके गांव में प्रवेश वर्जित के बोर्ड पर लगा दिए गए थे, जिसका असर मंगलौर विधानसभा में भी देखने को मिला था। अब चुनाव से ठीक पहले तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है, जिससे किसान संगठन बेहद खुश हैं।