ई-कचरे के न्यूनीकरण व प्रबन्धन हेतु जनजागरूकता अभियान पर हुई कार्यशाला
रुद्रप्रयाग। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में राष्ट्रीय हिमालयन अध्ययन मिशन, पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली तथा उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद(यूकास्ट) देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में ई-कचरे के न्यूनीकरण व प्रबन्धन हेतु जनजागरूकता अभियान पर एक कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोघ् पुष्पा नेगी ने कहा कि रूद्रप्रयाग में ई-वेस्ट के सुरक्षित निस्तारण के प्रति व्यापक जन जागरूकता तथा ई-वेस्ट के पुन: इस्तेमाल के प्रशिक्षण द्वारा छात्र-छात्राओं को इस संचेतना का वाहक बनाया जा रहा है। उन्होनें ई-कचरे के निस्तारण वैज्ञानिक तरीकों से करके पृथ्वी व प्रति को ई-कचरे से बचाने पर जोर दिया। कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता प्रो0 पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय देहरादून के कार्यक्रम निदेशक प्रोघ् एनए सिद्घिकी ने वैश्वीकरण के दौर में हिमालयन राज्यों विशेषकर उत्तराखण्ड में ई-कचरा प्रबन्धन पर व्यापक कार्य योजना बनाकर अमल में लाने का सुझाव दिया। कहा कि ई-कचरे में मौजूद लेड, कैटमियम, क्रोमियम, मरकरी, आर्सेनिक, निकिल आदि धातुएं, अवैज्ञानिक निस्तारण सेजल तथा मृदा में मिलकर दोनो को प्रदूषित कर प्रति के चक्र को नुकसान पहुंचा रही है। अत: स्थाई व उपयुक्त उपायों व प्रबन्धन द्वारा इस पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून के बायो साइंस विभागाध्यक्ष प्रोघ् संजय गुप्ता ने बताया कि सभी जलीय जीवों, स्थलीय जीवों व मनुष्यों का जीवन ई-कचरे के प्रतिक संसाधनों जल, वायु व मृदा के प्रदूषण से आने वाले भविष्य में खतरे के कगार पर पंहुचने वाला है। पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय के एसोसिएट डीन प्रोघ् एसएस तौसीफ ने ई-कचरे की उत्पत्ति की समस्या तथा इसके स्थायी समाधान के सम्बन्धित मुद्दों पर चर्चा की। कार्यशाला के समन्वयक ड़क केपी चमोली ने सभी अतिथियों का स्वागत व आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ई-कचरा वैश्वीकरण के दौर में एक मुख्य चुनौती बन गया है।
कार्यशाला को डाघ् प्रशान्त, डाघ् हरिओम शरण आदि ने भी स्म्बोधित किया। कार्यशाला में कुल 185 शिक्षकों व छात्रध्छात्राओं तथा अन्य आमंत्रितों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस जनजागरूकता कार्यक्रम में राजकीय स्नातक महाविद्यालय अगस्त्यमुनि सहित निकटवर्ती विद्यालय राबाइंका अगस्त्यमुनि, सरस्वती विद्या मन्दिर, केन्द्रीय विद्यालय, अगस्त्य पब्लिक स्कूल जवाहरनगर के शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला के सफल संचालन में डाघ् रेनू गौतम, डाघ् चन्द्रकला नेगी, डाघ् सुधीर पेटवाल, डाघ् जितेन्द्र सिंह, डाघ् ममता थपलियाल, डाघ् आबिदा, डाघ् विष्णु कुमार, डाघ् दीपाली रतूड़ी, डाघ् ममता शर्मा, डाघ् एमपी विश्वकर्मा आदि का सहयोग रहा।