अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने का विरोध, बरोजगार हुए युवा

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : एक अप्रैल से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल को पीपीपी मोड से हटा दिया गया है। इसके बाद अब अस्पताल का संचालन स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया जा रहा है। लेकिन, पीपीपी मोड संचालन के दौरान कार्यरत कर्मचारियों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में कर्मियों ने सरकार से उनके हितों को ध्यान में रखने की मांग की हे।
कुछ वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल को पीपीपी मोड पर दिया था। अस्पताल के संचालन की जिम्मेदारी शिवम सर्वत्र मेडिकल सर्विसेज कंपनी को दिया गया। कंपनी ने अस्पताल में पांच विशेषज्ञ चिकित्सक, तीन सामान्य चिकित्सक, नौ नर्स, आठ वार्ड ब्वाय, तीन लैब टैक्निशियन, चार रिसेप्शनिस्ट, दो सफाई कर्मी सहित अन्य स्टाफ तैनात किया था। एक अप्रैल को अनुबंध की तिथि समाप्त होने पर अस्पताल को पीपीपी मोड से हटा दिया गया। अस्पताल तो पीपीपी मोड से हटकर सरकार के अधीन चला गया है। लेकिन, उन युवाओं के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, जो कंपनी के माध्यम से अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे थे। नौकरी से हटाए गए प्रमोद सिंह ने बताया कि यदि उन्हें सेवा से हटाना था तो दो-तीन माह का समय देना चाहिए थे। वहीं आपातकालीन सेवाएं देख रहे सुधीर भदोला ने बताया कि एक ओर सरकार पलायन रोकने के लिए आयोग का गठन कर रही है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय युवाओं का रोजगार छीना जा रहा है। अनिकेत ने बताया कि 30 मार्च को उन्हें कहा गया कि 31 मार्च से उनकी सेवाएं समाप्त हो रही हैं। ऐसे में उन्हें इस बात का भरोसा नहीं हुआ। आज भी उन्हें यह भरोसा नहीं हो रहा कि उनकी सेवाएं समाप्त हो चुकी हैं। अशोक, तुलसी व सूरज ने बताया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, वह अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे रहेंगे। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक सतपाल महाराज से भी न्याय की गुहार लगाई है।

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