कोटद्वार-पौड़ी

फइलों में कैद नियम, सड़क पर गोवंश

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शहर की यातायात व्यवस्था में बाधा बन रहे आवारा गोवंश
गोवंश संरक्षण के लिए नगर निगम की ओर से नहीं बनाई जा रही व्यवस्था
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार ।
भले ही नगर निगम गोवंश संरक्षण के लिए लाख दावें कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सड़क पर घूम रहे गोवंश आमजन के लिए मुसीबत बने हुए हैं। यातायात में बाधा बन रहे गोवंश खुद भी वाहनों की चपेट में आने से घायल हो रहे हैं। शहर वासियों की शिकायत के बाद भी नगर निगम गौ संरक्षण के लिए गंभीरता नहीं दिखा रहा। गौ संरक्षण के नाम पर बनाए गए नियम कानून भी केवल फाइलों में ही कैद होकर रह गए हैं।
गोवंश संरक्षण अधिनियम लागू हुए एक दशक हो गया है, लेकिन कोटद्वार क्षेत्र में आज तक यह अधिनियम धरातल पर नहीं उतर पाया है। ऐसे में सड़कों पर जहां गो-वंश आवारा घूम रहा है, वहीं लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है। गो-वंश संरक्षण के नाम पर विभिन्न संगठनों की ओर से आवाज तो उठती है, लेकिन धरातल पर कार्य करने की जहमत कभी महसूस नहीं की जाती। शहर की सड़कों पर पूरे दिन गोवंशों का जमावड़ा लगा रहता है। राहगिरों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। पूर्व में गोवंश कई लोगों को चोटिल भी कर चुके है। रात के अंधेरे में सड़क पर लेटे गोवंश दिखाई नहीं देते, जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। रविवार को भी पटले मार्ग में एक गोवंश ने स्कूटी सवार युवक पर हमला कर दिया था। युवक के सड़क पर गिरते ही आसपास के लोगों ने गोवंश को भगा दिया। सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को होती है। लाखों की लागत से काशीरामपुर तल्ला में बनाई गई गोशाला भी वीरान पड़ी हुई है। वर्षों बीत जाने के बाद भी गौवंशों को गोशाला में शिफ्ट नहीं किया गया।
बॉक्स समाचार
यह है गोवंश संरक्षण अधिनियम
-19 जुलाई 2007 को लागू हुए गोवंश संरक्षण अधिनियम में स्पष्ट है कि कोई भी पशुपालक गोवंश को आवारा नहीं छोड़ेगा।
-शहरी क्षेत्रों में गोवंश पालने के लिए नगर के मुख्य नगर अधिकारी/अधिशासी अधिकारी से पंजीकरण प्रमाण पत्र लेना होगा।
-प्रत्येक गोवंश की व्यक्तिगत पहचान जरूरी है।
-नियमों का उल्लंघन करने पर पशुपालक को एक माह तक की सजा अथवा एक हजार रुपये जुर्माना देना होगा।
बॉक्स समाचार
पशु पालकों को नहीं जानकारी
इसे नगर निगम की लापरवाही ही कहा जाएगा कि शहरी क्षेत्र में अधिकांश गोपालकों को गोसंरक्षण के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसे में वह बेखौफ अपने पशुओं को सड़क पर छोड़ देते हैं, यही कारण है कि शहर की सड़कों पर लगातार गोवंशों की संख्या बढ़ती जा रही है। समस्या के निकरारण के लिए नगर निगम को कानूने को सख्ती से लागू करना होगा। इसके लिए पूर्व में कई संगठन आवाज भी उठा चुके हैं।

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