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19 अप्रैल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी हाईकोर्ट में मुकदमों की सुनवाई

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नैनीताल। बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए हाईकोर्ट में 19 अप्रैल से मुकदमों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। हाईकोर्ट में 13, 15, 16 अप्रैल को भी अवकाश घोषित कर दिया गया है। इस अवधि में हाईकोर्ट को सैनिटाइज किया जाएगा। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि 13, 15 व 16 अप्रैल को हाईकोर्ट में अवकाश रहेगा। 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती, 17 अप्रैल को शनिवार व 18 अप्रैल को रविवार है। सोमवार शाम को रजिस्ट्रार धनंजय चतुर्वेदी की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब हाईकोर्ट 19 अप्रैल को खुलेगा। साथ ही मामलों की सुनवाई वीसी के माध्यम से होगी। उल्लेखनीय है कि 22 फरवरी को शीतकालीन अवकाश के बाद हाईकोर्ट में ऑफलाइन सुनवाई शुरू हुई थी। लॉकडाउन के बाद हाईकोर्ट में भी ऑनलाइन सुनवाई शुरू हुई थी। ऑनलाइन सुनवाई की वजह से अदालती कामकाज पर असर पड़ा तो अधिवक्ताओं को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। उत्तराखंड बार काउंसिल की ओर से जरूरतमंद अधिवक्ताओं को तीन तीन हजार की आर्थिक मदद भी दी गई।

कारागार निरीक्षक के पदों पर की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
नैनीताल। हाई कोर्ट ने राच्य में वरिष्ठ कारागार अधीक्षक व अधीक्षक कारागार के सात रिक्त पदों पर पुलिस विभाग के अफसरों को नियुक्त करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर अहम आदेश पारित किया है। कोर्ट ने पुलिस विभाग के अधिकारियों की जेल में रिक्त पदों पर की गई नियुक्ति पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि राच्य सरकार को जेलों में रिक्त पदों को जेल कर्मचारियों की पदोन्नति या रिक्तियां निकाल कर भरने के निर्देश दिए हैं। बेहद जरूरी होने पर ही इन पर अस्थाई नियुक्ति करने को कहा है। कोर्ट के आदेश से सरकार को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। काशीपुर निवासी अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 12 फरवरी 2021 को एक आदेश जारी कर राच्य के कारागारों में रिक्त वरिष्ठ कारागार अधीक्षक व कारागार अधीक्षक के पदों पर पुलिस विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है , जो पूरी तरह असंवैधानिक है। उनकी नियुक्ति से जेल के कैदियों के साथ दुव्र्यवहार होने के साथ ही न्यायिक हिरासत व पुलिस हिरासत के बीच का अंतर समाप्त हो जाएगा। कहा कि नियुक्तियां निरस्त की जाएं, क्योंकि जेल एक सुधार गृह है। ऐसे में वहां पर इस तरह अधिकारियों को नियुक्त करना न्याय विरुद्ध है।

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