उत्तराखंड

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न मेहनताना मिला, न नौकरी बचीपिथौरागढ़। कोरोना की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मी शासन-प्रशासन के झूठे आश्वासन से आक्रोशित हैं। कर्मियों का कहना है कोरोना के खतरे के बीच जान जोखिम में डालकर सेवा की, लेकिन न तो मेहनताना ही मिला और न नौकरी बची। वेतन मांगने पर प्रशासनिक अधिकारी आश्वासन तक ही सीमित रह गए हैं। एक माह होने को है, लेकिन वेतन जारी न हो सका।
बुधवार को संविदा स्वास्थ्य कर्मी रामलीला मैदान स्थित धरना स्थल में एकत्र हुए। इस दौरान उन्होंने शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कोरोना की विपरीत परिस्थतियों में विभाग का साथ देने के बावजूद उन्हें न तो वेतन मिला और अब नौकरी भी उनसे छीन ली है। जबकि कुछ दिन पूर्व तक विभाग 2022 तक सेवा विस्तार की बात कह रहा था। कहा प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि केवल आश्वासन देने तक सीमित रह गए हैं। वेतन न मिलने से कर्मियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। कहा सितंबर माह के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने जल्द ही वेतन जारी होने की बात कहीं थी, लेकिन एक माह होने को है कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। यहां लोकेश, सपना, विमल, मुकेश, दीपक, जितेंद्र, सतीश, सुनील, रंजना, बबीता, प्रेम, प्रेरणा, सौरभ, संतोष आदि रहे।

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