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तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव मंजूर
-केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई मंजूरी
-अब शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया होगी शुरू
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्रिमंडल से तीन कृषि कानूनों को रद करने की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा से सरकार और किसानों के बीच पिछले 14 महीने से चल रहा टकराव खत्म होने की उम्मीद बनी है।
अनुराग ठाकुर ने बताया कि कोविड महामारी के चलते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत देश के लगभग 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 किलो गेंहू और चावल मुफ्त में देने की योजना को मार्च 2022 तक और 4 महीनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को आगामी संसद सत्र में पेश किया जाएगा। भारत सरकार ने 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए लोकसभा बुलेटिन में द फार्म लाज रिपील बिल, 2021 को सूचीबद्ध किया गया है। संसद के दोनों सदनों से कानूनों की वापसी का विधेयक पारित होने के बाद उस पर राष्ट्रपति अंतिम मुहर लगाएंगे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही उसे गजट में प्रकाशित किया जाएगा।
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार द फार्म लाज रिपील बिल, 2021 विधेयक ‘किसान’ उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता, कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को निरस्त करने के लिए पेश किया जाएगा। इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्र इस महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करेगा और आवश्यक विधेयक लाएगा। प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की थी कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर काम करने के लिए एक समिति का गठन करेगी।
केंद्र द्वारा 2020 में कानून पारित किए जाने के बाद से ही किसान संगठन लगातार तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सरकार के फैसले के बावजूद आंदोलनकारी संगठनों ने कानूनों की संसद में वापसी तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है।

60 ट्रैक्टर लेकर किसान करेंगे संसद कूच
-संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन निकाली जाएगी रैली
-किसान नेता राकेश टिकैत ने किया है ऐलान
नई दिल्ली, एजेंसी : पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसान संगठन आंदोलन जारी रखने पर अड़े हैं। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने संसद के शीत सत्र के पहले दिन ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 29 नवंबर को शीत सत्र के पहले दिन 1000 लोग 60 ट्रैक्टर लेकर संसद की ओर कूच करेंगे। राकेश टिकैत ने एएनआई से कहा, ‘जो सड़के सरकार द्वारा खोली गई हैं। उन सड़कों से ट्रैक्टर गुजरेंगे। हम पर पहले सड़कों को ब्लॉक करने का आरोप लगाया गया था। हमने सड़क को अवरुद्ध नहीं किया था। सड़कों को ब्लॉक करना करना हमारे आंदोलन का हिस्सा नहीं है। हमारा आंदोलन सरकार से बात करना है। हम सीधे संसद जाएंगे।’
राकेश टिकैत का बयान ऐसे समय में आया है, जब केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को ही मीटिंग होने वाली है, जिसमें कृषि कानूनों की वापसी के लिए बिल पेश करने पर मुहर लगेगी। इसे संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही पेश किया जा सकता है। टिकैत ने यह भी घोषणा की कि अन्य मुद्दों के अलावा एमएसपी कानून के लिए दबाव बनाने के लिए कम से कम एक हजार लोग संसद जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता ने एएनआई से कहा, ‘हम एमएसपी को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा, पिछले एक साल में हुई घटनाएं, जिसमें 750 किसान मारे गए, सरकार को इसकी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।’ एसकेएम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय किसान संगठनों द्वारा भी दुनिया भर में “एकजुटता कार्यक्रमों” की योजना बनाई जा रही है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा और इसके 23 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है।

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