उत्तराखंड

पहाड़ में पलायन से 80 साल के बुजुर्ग मजदूरी को मजबूर

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हल्द्वानी। सरकार की ओर से गांव से लेकर शहर तक युवाओं के लिए पलायन रोकने के लिए भले ही कई योजनाएं चलाएं जा रहे हों, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। युवा पलायन कर चुके हैं और जिस उम्र में बुजुर्गों की घरों में सेवा होनी चाहिए, उस उम्र में पहाड़ के बुजुर्ग मजदूरी करने को मजबूर हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी पोर्टल के बीते एक साल का आंकड़ा देखा जाए तो कुमाऊं में 80 साल से ऊपर के 890 बुजुर्गों को मनरेगा के तहत मजदूरी मिली। यह स्थिति तब है जब सरकार हर मंच में रिवर्स पलायन की बात तो करती रहती है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023 के अंत तक कुमाऊं में छह जिलों में 27 हजार 538 बुजुर्ग मनरेगा में रजिस्टर्ड हैं।
कोरोना काल में युवाओं को रोक सकती थी सरकाररू कोरोनाकाल में जो लोग शहरों से लौट आए थे, वह वक्त था कि उन्हें यहां स्टार्टअप के लिए धन मुहैया कराकर रोका जाता, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कोरोना संकट कम हुआ तो फिर रोजगार की चाह में लोगों को घरबार छोड़ना पड़ा। हमेशा रिवर्स पलायन की बात हर मंच पर होती है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराए बगैर यह संभव नहीं है। रिवर्स पलायन की जो उम्मीद जगी थी वह फिर धूमिल होती नजर आ रही है। पहाड़ के ग्रामीण तो ऐसा ही मानते हैं कि जब तक उन्हें घर पर रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक उन्हें वहां रोक पाना चुनौती ही है।
अल्मोड़ा में सबसे अधिक पंजीत बुजुर्ग मजदूर रू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी पोर्टल में रजिस्टर्ड मनरेगा मजदूरों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कुमाऊं में बीते वर्ष अल्मोड़ा जिले में सबसे अधिक 12 हजार 637 बुजुर्ग रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 209 को ही मजदूरी मिल पाई। वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो दूसरे नम्बर में पिथौरागढ़ है, यहां पर 8 हजार 401 बुजुर्ग रजिस्टर्ड हैं। रोजगार के मामले में अभी तक पिथौरागढ़ में सबसे अधिक 271 बुजुर्गों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला है। सबसे कम बुजुर्ग रोजगार करने वाले नैनीताल जिले में हैं।

कुमाऊं में 80 साल के इतने बुजुर्ग कर रहे मजदूरी

जिला पंजीत मजदूरी मिली
अल्मोड़ा 12637 209
पिथौरागढ़ 8401 271
बागेश्वर 2871 100
चम्पावत 623 89
यूएसनगर 1620 46
नैनीताल 1386 43

पहाड़ों में युवाओं के पलायन के साथ ही चक्रिय बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है। पहाड़ से दूसरे शहरों को जाने वाले युवा भी अपने परिवार को आर्थिक मदद नहीं कर पा रहे हैं। जिसके चलते गांवों में मौजूद बुजुर्ग मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं। उत्तराखंड के लिए यह त्रासद स्थिति है। – प्रो़ मृगेश पांडे, अर्थशास्त्री

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